Bharat Bandh: हरियाणा में भारत बंद में किसानों के बजाय विपक्षी दलों के नेता ही दिखे सक्रिय
Bharat Bandh हरियाणा में भारत बंद के दौरान किसानों के बजाय विपक्षी पार्टियों काें नेता सक्रिय नजर आए। राज्य में दोपहर तक राजमार्गों पर वाहन कम दिखे लेकिन बाद यातायात सामान्य हो गया। दिल्ली से सटे हरियाणा के जिलों में बंद का असर नहीं दिखा।
नई दिल्ली, जेएनएन। Bharat Bandh: तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसाना संगठनाें के आह्वान पर भारत बंद के दौरान हरियाणा में किसानों से ज्यादा विपक्षी दलों के नेता और कार्यकर्ता ही सक्रिय रहे। इनमें कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता प्रदर्शनोें में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे। कई कांग्रेस नेता किसानों के धरने में पहुंचे, लेकिन कई जगह उनको किसानों से ठीक से रिस्पांस नहीं मिला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला को किसानों ने बोलने तक नहीं दिया।
सामान्य रूप से खुले दिल्ली से लगते हरियाणा के जिलों में बाजार
भारत बंद (Bharat Ban) का हरियाणा के एनसीआर जिलों में असर नहीं दिखा। दिल्ली के नजदीक के हरियाणा के प्रमुख जिला गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत,झज्जर, पलवल, रेवाड़ी में बंद बेअसर रहा। बड़े बाजारों में दुकानें सामान्य रूप में खुलीं।
ऐहतियात के तौर पर दोपहर तक राजमार्गों पर ही दिखा बंद का आंशिक असर
दोपहर तक लोग एहतियात के तौर पर राजमार्गों पर नहीं निकले। इससे राजमार्ग इस दौरान जरूर कुछ देर तक सूने नजर आए। बंद सफल बनाने के लिए किसानों की बजाये रविवार शाम से ही गैर भाजपाई दलों के नेता और कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि सक्रिय हो गए थे मगर प्रशासनिक सूझबूझ के चलते मंगलवार सुबह से ही कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कर्मचारी संघों के नेताओं को उनके घरों पर ही नजरबंद रखा गया।
लाकडाउन के बाद बंद से तौबा
कोरोना संक्रमण से बचाव को लागू रहे लंबे लाकडाउन के बाद उद्योग और व्यापारी संगठनों ने भारत बंद से तौबा कर ली थी। कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े व्यापारी संगठनों ने बंद का साथ देने का आह्वान किया तो आम व्यापारियों और दुकानदारों ने इसका खुलकर विरोध किया। भारत बंद के आह्वान के पीछे बेशक किसान का आंदोलन था मगर व्यापारियों ने बेझिझक बंद में हिस्सा नहीं लिया।
व्यापारियों के लिए यह बात भी सुकून भरी रही कि प्रमुख बाजारों में कोई जबरदस्ती बंद के लिए नहीं आया। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वरिष्ठ उप प्रधान शम्मी कपूर का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए जब कोरोना जैसी महामारी से बचाव को लाकडाउन के बारे में नहीं सोचा जा रहा है तो विपक्षी दलों को भारत बंद का आह्वान नैतिकता के आधार पर नहीं करना चाहिए था। बेशक उद्योग-व्यापार जगत ने भारत बंद में हिस्सा नहीं लिया है मगर फिर भी एहतिहात के तौर पर अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष काफी नुकसान हुआ है।
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