एचएसएससी में एंट्री के लिए लॉबिंग में जुटे भाजपा और जजपा से जुड़े दिग्गज नेता
हरियाणा में सत्तारूढ भाजपा व जजपा के नेताओं में एचएसएसी में एंट्री के लिए होड़ मच गई है। कई दिग्गज नेता इसके लिए लॉबिंग में जुटे हुए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के पांचों सदस्य 11 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। प्रदेश सरकार ने पिछले साल 12 जुलाई को नीलम अवस्थी, अमर नाथ सौदा, भोपाल सिंह, विजय पाल सिंह और प्रदीप जैन का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया था, जो अगले शनिवार को पूरा हो जाएगा। आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती का कार्यकाल अगले मार्च तक है।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पांचों सदस्य 11 जुलाई को हो जाएंगे रिटायर
वहीं, एचएसएससी का सदस्य बनने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा से जुड़े दावेदार लॉबिंग में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी पहली पारी में मार्च 2015 में भारत भूषण भारती को तीन वर्षों के लिए आयोग का चेयरमैन और नीलम अवस्थी, देवेंदर सिंह, अमर नाथ सौदा, भोपाल सिंह एवं विजय पाल सिंह को सदस्य बनाया था। जुलाई 2016 में आयोग में पांच और सदस्यों डॉ. एचएम भारद्वाज, राजबाला सिंह, प्रदीप जैन, सुरेंद्र कुमार और डॉ. हंस राज यादव की नियुक्ति भी तीन वर्षों के लिए की गई। हालांकि बाद के पांच सदस्यों के नाम कभी आयोग की वेबसाइट पर नहीं दर्शाये गए।
आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती का कार्यकाल अगले मार्च तक
हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि मार्च 2018 में प्रदेश सरकार ने चेयरमैन भारत भूषण भारती को तीन वर्ष का लगातार दूसरा कार्यकाल प्रदान कर दिया, परंतु उनके साथ नियुक्त पांच अन्य सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ 11 जुलाई 2019 तक बढ़ाया। हालांकि पिछले साल आयोग के सभी दस सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर पांच को एक वर्ष के कार्यकाल का विस्तार दे दिया गया।
आयोग के वैधानिक दर्जे पर एडवोकेट की याचिका लंबित
एडवोकेट हेमंत कुमार ने जुलाई 2018 में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव डीएस ढेसी एवं अन्य को याचिकाएं भेजकर आयोग को संवैधानिक दर्जे की जानकारी मांगी थी। अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड का नाम दिसंबर 1997 में बदलकर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग किया गया था। दिसंबर 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग अधिनियम 2004 पारित कराकर आयोग को वैधानिक मान्यता प्रदान कर दी थी।
सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मार्च 2005 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (निरसन ) विधेयक 2005 सदन से पारित कराकर आयोग को मिला कानूनी दर्जा समाप्त करा दिया। तब से यह आयोग सरकारों द्वारा समय-समय पर जारी नोटिफिकेशनो से ही संचालित किया जा रहा है।