महिला शिक्षक और नर्स ने घरवालों से छिपाकर दान की सेलरी, सीएम के फोन कॉल में हुआ खुलासा
कोरोना के खिलाफ जंग में लोग जज्बे के साथ योगदान दे रहे हैं। हरियाणा में महिला शिक्षक और नर्स ने घरवालाें से छिपाकर अपनी सेलरी राहत कोष में दान कर दी।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा पर जब भी संकट आया, तब दान देने वाले कभी पीछे नहीं रहे। उनमें अपने प्रदेश और समाज सेवा के प्रति जज्बा कूट-कूट कर भरा है। पूरा प्रदेश जब कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है, तब दान देने वाले भी दिल खोलकर दान दे रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनकी दान देने की भावना दिलों में घर कर जाती है। राज्य की एक स्टाफ नर्स और महिला जेबीटी टीचर ने घरवालों से छिपकर पूरी तनख्वाह कोरोना रिलीफ फंड में डाल दी। पति और परिजनों को पता तब लगा, जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल का उनके घर पर फोन आया।
प्यून, नर्स, कांस्टेबल और जेबीटी ने दान की पूरी तनख्वाह, सीएम ने किया सेल्यूट
इसी तरह एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (प्यून) और एक पुलिसकर्मी (कांस्टेबल) ने मार्च माह की अपनी सारी तनख्वाह जरूरतमंदों के लिए दान कर दी। कोरोना से जंग में दर्जनों ग्रुप डी कर्मचारियों ने अपनी पूरी सेलरी कोरोना रिलीफ फंड में दी है। रोजाना डिजिटल मोड के जरिए हरियाणा की जनता से रूबरू हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन कर्मचारियों से मोबाइल पर सीधी बात की। इनके हौसले और जुनून को सलाम करते हुए सीएम ने सभी को इनका अनुसरण करने का आह्वान किया।
ग्रुप डी के दर्जनों कर्मचारियों ने कोराना जंग को समर्पित की सेलरी, ‘एडॉप्ट ए फैमिली’ योजना की तारीफ
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐसी बीमारी है, जिससे सामूहिक तौर पर लड़कर जीता जा सकता है। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल में उन 400 परिवारों का जिक्र किया, जिन्होंने १५ हजार लोगों के खाने-पीने का जिम्मा ले रखा है। इस प्रोजेक्ट को ‘एडॉप्ट ए फैमिली’ यानी एक परिवार गोद लेने की अनूठी योजना नाम दिया है।
स्टाफ नर्स को डर था, कहीं पति नाराज न हो जाएं
अपनी पूरी सैलरी कोरोना रिलीफ फंड में देने वाली स्टाफ नर्स शशि बाला ने फोन पर मुख्यमंत्री से कहा कि स्टाफ नर्स सब की मां होती है। मुख्यमंत्री से बातचीत में शशि बाला ने कहा कि ऐसा कर उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। सोचा भी नहीं था कि सीएम का कभी उनके पास फोन आएगा। हम सारा साल कमाते हैं। अगर एक महीने की सेलरी जरूरतमंदों को दान कर दें तो कुछ फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने बताया कि अपनी सेलरी देने से पहले उन्होंने पति को भी नहीं बताया कि वह कहीं नाराज न हो जाएं। सीएमओं से फोन आया कि सीएम बात करेंगे तो उन्हें इसकी जानकारी दी। वह बहुत खुश हुए। दो साल पहले ही उनकी नौकरी लगी थी।
नौकरी नहीं थी, तब भी तो होता था गुजारा
अंबाला जिले के पतरहेडी गांव के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नरेश ने भी अपनी पूरी सेलरी कोरोना रिलीफ फंड में दी है। कोरोना से जंग में तन-मन-धन से साथ देने की प्रेरणा उन्हें परिवार से मिली। पिताजी, पत्नी और भाई ने प्रोत्साहित किया कि जब नौकरी नहीं थी तो भी तो गुजारा हो रहा था। आज संकट की घड़ी में जरूरतमंदों के लिए उन्हें अपनी पूरी सेलरी देनी चाहिए। फिर उसने सेलरी देने में एक मिनट भी देरी नहीं की।
कांस्टेबल बोला इंसानियत दिखाएं सभी लोग
हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल रवि ने कहा कि उन्हें ट्रेनिंग के दौरान ही ईमानदारी और देशभक्ति की राह पर चलने की शपथ ली थी। पूरी सेलरी दान करने के लिए उनके परिजनों ने भी प्रोत्साहित किया। हिसार की तीसरी बटालियन में ट्रेनिंग करने वाले कांस्टेबल ने सीएम से बातचीत में कहा कि पब्लिक को भी इंसानियत दिखानी चाहिए। दिल खोलकर सरकार की मदद करनी चाहिए ताकि महामारी से पार पाया जा सके। सीएम ने कांस्टेबल के विचारों को भी सेल्यूट किया।
अपनी सुरक्षा, देश की सुरक्षा
रेवाड़ी के गुरावड़ा गांव की रहने वाली जेबीटी शिक्षक सरला देवी ने कहा कि अपनी सुरक्षा देश की सुरक्षा है। सभी घर में रहें और देश को सुरक्षित रखें। गुरुग्राम में तैनात सरला देवी ने कहा कि उन्होंने अपने घर वालों को भी नहीं बताया था कि वह पूरी सैलरी कोरोना रिलीफ फंड में दे रही हैं। चुपके से उन्होंने बाबू से पोर्टल पर एंट्री करा दी। अब परिजनों को पता चला तो वह भी खुश हुए हैं।