सैलजा का आरोप, SYL पर केंद्र व हरियाणा सरकार ने लटकाया सुप्रीम कोर्ट का फैसला
SYL नहर के निर्माण के मुद्दे पर हरियाणा कांग्रेस ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर राजनीतिक हितों के चलते सुप्रीम कोर्ट का फैसला लटकाने का आरोप लगाया है।
जेएनएन, नई दिल्ली। सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर के निर्माण के मुद्दे पर हरियाणा कांग्रेस ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर राजनीतिक हितों के चलते सुप्रीम कोर्ट का फैसला लटकाने का आरोप लगाया है। नई दिल्ली स्थित अपने निवास पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक SYL नहर निर्माण के मामले पर लंबी कानूनी लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी। जब हरियाणा के हक में फैसला आ गया तो केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार ने अपने राजनीतिक हितों के लिए इसे लटकाए रखा।
उन्होंने कहा कि पंजाब हर तरह से हरियाणा का बड़ा भाई है, मगर बावजूद इसके न्यायकारी आदेश सबके लिए मान्य है। सैलजा के अनुसार पंजाब को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में सर्वदलीय नेताओं की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में मिलने की बाबत कहा था, मगर उन्होंने इसके लिए कुछ नहीं किया। इसके चलते पंजाब को अपनी बात कहने का मौका मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब का अब कोई मसला नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट यह आदेश दे चुका है कि केंद्र सरकार को SYL नहर निर्माण कार्य शुरू करवाना है तो फिर इसमें देरी किस बात को लेकर की जा रही है। हरियाणा कांग्रेस नहर निर्माण केंद्र सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार खड़ी है। सैलजा ने कहा कि जब भी SYL नहर निर्माण के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई तभी केंद्र सरकार ने इसमें लचीलापन दिखाया। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार प्रदेश के लोगों का हित दरकिनार करते हुए हमेशा अपना राजनीतिक हित देखते रहे।
SYL मुद्दे पर राज्यपाल से मिलेगी कांग्रेस
कुमारी सैलजा ने कहा कि SYL नहर निर्माण के मुद्दे पर राज्यपाल के माध्यम से हरियाणा कांग्रेस केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाएगी। हरियाणा सरकार से भी मांग करेगी कि वह केंद्र सरकार से इस बाबत हस्तक्षेप करने का आग्रह करे। सैलजा ने कहा कि मौजूदा मनोहर लाल सरकार हर मुद्दे पर फ्लॉप साबित हो रही है। भाजपा सरकार के गठन को अब तीन माह हो गए हैं मगर अभी तक सरकार में स्थायित्व नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री अपने मुख्यमंत्री से विभाग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं, सरकार में सहयोगी दल के विधायक अपने लिए मंत्रीपद की मांग के चलते तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। अधिकारी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। तीन माह में दो बार अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रधान सचिव स्तर के अधिकारियों का तबादला करने वाली यह सरकार प्रदेश का हित करने में समक्ष नहीं रह गई है।
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