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कुलदीप फिर हुए सक्रिय, तीन बड़े कामों से बढ़ी दुष्यंत की स्वीकार्यता, पढ़ें सत्ता के गलियारे की और भी खबरें

राजनीति में कई खबरें सुर्खियां नहीं बन पाती। सत्ता के गलियारे में कौन कैसे सक्रिय है जानने के लिए पढ़ें सत्ता के गलियारे कॉलम...

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 10:17 AM (IST)
कुलदीप फिर हुए सक्रिय, तीन बड़े कामों से बढ़ी दुष्यंत की स्वीकार्यता, पढ़ें सत्ता के गलियारे की और भी खबरें
कुलदीप फिर हुए सक्रिय, तीन बड़े कामों से बढ़ी दुष्यंत की स्वीकार्यता, पढ़ें सत्ता के गलियारे की और भी खबरें

चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में एक समय पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल का गजब का जलवा था। भजनलाल के इस राजनीतिक जलवे को राजनीति के जानकार आज भी याद करते हैं। इसी तरह का जलवा काफी दिनों तक उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई का भी रहा। कुलदीप बिश्नोई हिसार और भिवानी से सांसद रह चुके हैं तथा विधानसभा में आदमपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। अब उनके अपने बड़े भाई चंद्रमोहन बिश्नोई से भी अच्छे संबंध हो गए। पत्नी रेणुका बिश्नोई हांसी से विधायक रहीं, लेकिन मजबूरी ने उन्हेंं सक्रिय राजनीति से थोड़ा दूर कर दिया।

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दरअसल, पिछले काफी दिनों तक कुलदीप बिश्नोई गले के कैंसर से पीडि़त रहे। अपने पति की देखभाल के लिए रेणुका ने सक्रिय राजनीति से थोड़ी दूरी बनाई, लेकिन बेटे भव्य बिश्नोई के लिए माहौल बनाने में कुलदीप और रेणुका दोनों ने दिन-रात एक कर दिया। अब कुलदीप बिश्नोई पूरी तरह से स्वस्थ हैं और प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। पुराने अंदाज में ही कुलदीप ने लोगों से मिलना-जुलना शुरू कर दिया और कई दिनों तक उनके बीच नहीं आने की साफ-साफ वजह बताते हुए माफी मांगी। प्रदेश की राजनीति में कुलदीप किस समय नए अवतार में नजर आ जाएं, यह कहना मुश्किल है, लेकिन सोनाली फौगाट और सुल्तान सिंह के बीच हुए विवाद ने कुलदीप को जो माइलेज दिया है, वह उनके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है।

एक महीने में दुष्यंत के तीन बड़े काम

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला प्रदेश की राजनीति में एकाएक सक्रिय हो गए हैं। पिछले एक माह के अंतराल में दुष्यंत ने तीन ऐसे बड़े काम कर दिए, जिनकी वजह से उनकी स्वीकार्यता बढ़ गई है। दुष्यंत पर आरोप लग रहा था कि वह चंडीगढ़ में जाकर टिक गए और अपने उचाना हलके में नहीं आ रहे हैं, लेकिन जैसे ही लाकडाउन खुलने पर उन्हेंं मौका मिला, दुष्यंत तुरंत अपनों के बीच उचाना पहुंच गए। वहां उन्होंने अपने हलके की जनता को तीन बड़े ऐसे काम गिनाए, जो जननायक जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे में शामिल थे।

पहला तो यह कि हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में अब प्रदेश के युवाओं को आरक्षण मिलेगा। दूसरा काम यह हुआ कि सिरसा व फतेहाबाद समेत बाढग़्रस्त इलाकों में धान की खेती कराने की अनुमति किसानों को दिलाई। तीसरा काम यह रहा कि उन्होंने उचाना हलके के किसानों की सबसे ज्यादा गेहूं खरीद कराई। इसके अलावा दुष्यंत अपने हलके के लोगों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि चंडीगढ़ की कोठी उन्हीं की देन है। इसलिए इस कोठी के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं। हालांकि दुष्यंत पूरे प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं और हर जिले में वहां के हितों की बात करते हैं, लेकिन उचाना जिस तरह से चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और चौ. बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा, उसके मद्देनजर दुष्यंत की सक्रियता निसंदेह काबिल-ए-तारीफ है।

सरकारी तंत्र का तबादला मंत्र

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल कहा करते थे कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी से काम लेना आसान नहीं है। जिस तरह एक बिगडैल घोड़े पर अच्छा व्यक्ति घुड़सवारी कर सकता है, उसी तरह एक कुशल नेतृत्व क्षमता रखना वाला जनप्रतिनिधि ही आइएएस से काम ले सकता है। बंसीलाल अधिकारियों से तबादले का भय दिखाकर काम लेने में माहिर रहे। इसी तर्ज पर सूबे की मौजूदा मनो सरकार भी बहुत जल्द तबादले करती है।

सरकारी तंत्र को प्रभावी बनाने के लिए मनोहर सरकार ने लॉकडाउन के दौरान भी छह तबादला सूची जारी की। हालांकि इनमें सूची में दो विभाग खासे चर्चित हैं। एक आवास बोर्ड और एक कृषि विपणन बोर्ड, क्योंकि इनके मुख्य प्रशासक राज्य सरकार बहुत जल्द बदल रही है। दोनों में तबादलों को राजनीतिक हस्तक्षेप से भी जोड़ा जा रहा है। बहरहाल, कृषि विपणन बोर्ड में अब ऐसी अधिकारी को लगाया गया है जो 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगी, लेकिन जन सुनवाई करने में उनका कोई जवाब नहीं है।

राजा साहब का दिल है दरिया

अहीरवाल के राजा साहब (राव इंद्रजीत सिंह) के बारे में चाहे कोई कुछ कहे मगर वे बड़े दिल के हैं, यानी यह कहा जाए कि उनका दिल दरिया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह बात सिद्ध करने के लिए यूं तो कई उदाहरण बताए जा सकते हैं मगर राजा साहब का दिल दरिया है इसके बारे में नारनौल से मनोहर सरकार में राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव से ज्यादा कौन बेहतर बना सकता है।

यादव साहब बताते हैं कि राजा साहब को यह खूब पता है कि एडीओ (कृषि विकास अधिकारी) और आइएएस में क्या अंतर होता है मगर फिर भी अगर राजा साहब का दिल एडीओ पर आ जाए तो फिर आइएएस कुछ मायने नहीं रखते। खैर, इस बार राजा साहब ने तीन जून को जब पूर्व सीएम चौधरी भजन लाल की पुण्यतिथि पर संवेदनाएं व्यक्त की तो कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने राजा साहब का आभार जताया। (प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल और सुधीर तंवर, चंडीगढ़)


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