करनाल में किसानों पर पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए बना न्यायिक आयोग, हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दी जानकारी
करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में हरियाणा सरकार न्यायिक जांच के लिए आयोग गठित कर चुकी है। साथ ही मृतक किसान के परिवार के दो सदस्यों को नौकरी भी दे चुकी है। यह जानकारी सरकार ने हाई कोर्ट में दी है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। करनाल में 28 अगस्त को किसानों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका पर शुक्रवार को हरियाणा सरकार की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गई कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद 22 सितंबर को इस घटना की जांच के लिए जस्टिस एसएन अग्रवाल कमीशन का गठन कर दिया गया है। साथ ही मृतक किसान के परिवार के दो सदस्यों को नौकरी दे दी गई है। सरकार के इस जवाब पर हाई कोर्ट ने कहा कि जब याची पक्ष की मांग पूरी हो चुकी है इस याचिका को आगे जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।
इसी मामले में करनाल पुलिस की तरफ हाई कोर्ट को बताया है कि विरोध करने के अधिकार के तहत किसी को भी सड़कों को बंद कर आम लोगों को परेशान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। करनाल रेंज की आइजी ममता सिंह ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दायर कर कहा है कि यह आरोप कि एसडीएम के इशारे पर ही पुलिस ने वार किए थे पूरी तरह से गलत है, क्योंकि एसडीएम आयुष सिन्हा घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर थे।
अपने हलफनामे में आइजी ने विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत भी यह कह चुकी है कि विरोध प्रदर्शन करना हर व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन यह भी साफ किया जा चुका है कि इस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए और सड़कें नहीं रोकी जाए चाहिए। इसके बावजूद पिछले कई महीनों से सड़कें रोकी हुई हैं। साफ है कि यह सीधे तौर पर सर्वोच्च अदालत के आदेशों का ही उलंघन है। यह भी नहीं देखा जा रहा कि इनके द्वारा बंद की गई सड़कों पर कितने लोग अपने परिवारों के साथ फंस गए और उन्हें कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस मामले में दायर याचिका में इस घटना की हाई कोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच करवाने की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस कार्रवाई से कई किसानों को चोटें आई हैं। याचिका में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों और एसडीएम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और विभागीय कार्रवाई के आदेश देने का आग्रह किया गया। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा एक वीडियो में पुलिस को प्रदर्शनकारियों का सिर फोड़ने का निर्देश दे रहे थे। याचिका करनाल जिले के मुनीश लाठर और अन्यों द्वारा दायर की गई है, जो 28 अगस्त की घटना में घायल हो गए थे।