JJP का वादा पूरा और सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं, पार्टीबाजी मेें फंसा ठेके बंद करने के प्रस्ताव
गांवोंं में शराब ठेकों को लेकर जेजेपी का वादा भी पूरा हो गया और सरकार को राजस्व नुकसान भी नहीं हुआ। दरअसल पार्टीबाजी में ठेके बंद करने के ज्यादा प्रस्ताव नहीं आ रहे।
जेेेेेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा गांवों में शराब ठेके नहीं खोलने का नीतिगत फैसला लेने के बावजूद ग्राम सभाएं प्रस्ताव देने के लिए आगे नहीं आ रही हैं। गांवों में पार्टीबाजी हावी है और शराब ठेके नहीं होने का प्रस्ताव देने के लिए दस फीसद मतदाता भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। पहले यह अधिकार सरपंच (ग्राम पंचायतों) के पास था, लेकिन सरपंच की मनमानी की शिकायतों के चलते सरकार ने शराब ठेके खोलने अथवा न खोलने का फैसला ग्राम सभाओं में जुटने वाले दस फीसद मतदाताओं पर छोड़ दिया है।
हरियाणा में फिलहाल 2259 जगह शराब की दुकानें चल रही हैं, जिनमें 950 ठेके ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। ग्रामीण अंचल के इन सभी ठेकों पर ग्राम सभाओं के प्रस्ताव की तलवार लटकी हुई है। ग्राम सभाओं को 31 दिसंबर तक प्रस्ताव देने हैं, लेकिन दिसंबर माह के पहले सप्ताह तक इक्का-दुक्का प्रस्ताव को छोड़कर कोई प्रस्ताव आबबकारी एवं कराधान विभाग के पास नहीं पहुंचा है। पिछली बार सरकार ने प्रदेश के 57 गांवों में शराब के ठेकों को बंद कराया था, जबकि ठेके बंद कराने के लिए प्रस्ताव 304 आए थे।
सिरसा के गांवों में सबसे अधिक ठेके
सिरसा के गांवों में सबसे अधिक 114 शराब के ठेके खुले हुए हैं, जबकि पंचकूला की सीमा से जुड़े गांवों में एक भी शराब का ठेका नहीं है। अंबाला के गांवों में 30, भिवानी में 84, फरीदाबाद में 51, फतेहाबाद में 66, गुरुग्राम ईस्ट में 12, गुरुग्राम वेस्ट में 24, हिसार में 78, जगाधरी में 30, झज्जर में 58, जींद में 36, करनाल में 44, कुरुक्षेत्र में 24, मेवात में 6, नारनौल में 24, पलवल में 54, पानीपत में 24, रेवाड़ी में 48, रोहतक में 71 और सोनीपत जिले के गांवों में 72 जगह शराब के ठेके खुले हुए हैं।
JJP ने किया था वादा
भाजपा सरकार की साझीदार जननायक जनता पार्टी (JJP) ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था, कि ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे। भाजपा जब चौधरी बंसीलाल की सरकार में साझीदार थी, तब पूरे राज्य में शराबबंदी की गई थी, जो सिरे नहीं चढ़ पाई। भाजपा को इस बार भी लग रहा था कि गांवों में शराब के ठेके बंद करने का प्रस्ताव उचित नहीं होगा, इसलिए अपनी साझीदार JJP को ग्राम सभाओं में दस फीसद मतदाताओं की सहमति के बाद ही ठेके बंद करने के प्रस्ताव पर राजी कर लिया है। इसका असर यह हो रहा कि ग्राम सभाओं में इतने लोग भी नहीं जुट रहे, जिस कारण उम्मीद बढ़ गई कि इस बार ज्यादा ठेके बंद नहीं होने वाले हैं, जिस कारण न तो शराब से आने वाले राजस्व का नुकसान होगा और न ही JJP को अपना चुनावी वादा पूरा करने का दावा करने में किसी तरह की दिक्कत आएगी।
गांव व शहरों के सीमा विवाद में फंसे 765 शराब ठेके
आबकारी एवं कराधान विभाग के 765 ठेके ग्रामीण-अर्बन की संयुक्त सीमा में खुले हुए हैं। यह ठेके किसकी सीमा में खुले हैं, इसका फैसला आबकारी एवं कराधान विभाग ही करेगा। अगर इन ठेकों से संबंधित कोई प्रस्ताव आता है तो उस स्थिति में इलाका अफसर मौके का मुआयना करके यह तय करेगा कि यह ठेका शहर की सीमा या गांव की सीमा में खुला है।
इसके बाद ही विभाग उस प्रस्ताव पर निर्णय ले पाएगा। ऐसे ठेके अंबाला में 48, भिवानी में 48, फरीदाबाद में 33, फतेहाबाद में 30, ग्रुरुग्राम ईस्ट में 24, ग्रुरुग्राम वेस्ट में 23, हिसार में 48, जगाधरी में 36, झज्जर में 30, जींद में 42, कैथल में 24, करनाल में 52, कुरुक्षेत्र में 33, मेवात में 18, नारनौल में 18, पलवल में 30,पंचकूला में 30, पानीपत में 54, रेवाड़ी में 36, रोहतक में 18, सिरसा में 30 व सोनीपत में 60 ठेके चल रहे हैं।
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