हरियाणा के JJP MLA रामकुमार गौतम के फिर बागी तेवर, दलबदल विरोधी कानूनों पर उठाए सवाल
जननायक जनता पार्टी के विधायक रामकुमार गौतम में एक बार फिर बागी तेवर दिखाए हैं। रामकुमार गौतम में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधने के साथ ही दल बदल विरोधी कानूून पर भी सवाल उठाए हैं। गाैतम ने कहा कि विधायक बंधुआ मजदूर बन गए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। नारनौंद से जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक रामकुमार गौतम ने एक बार फिर बागी तेवर दिखाए हैं। पार्टी सुप्रीमो के प्रति कभी नरम तो कभी गरम रुख दिखाने वाले दादा गौतम (रामकुमार गौतम) ने अब दल-बदल विरोधी कानूनों पर सवाल उठाए हैं। इन कानूनों को देश की जम्हूरियत के लिए खतरा करार देते हुए उन्होंने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून से सांसद और विधायक बंधुआ मजदूर बनकर रह गए हैं।
कहा- दल-बदल विरोधी कानून से सांसद और विधायक बंधुआ मजदूर बने
दल-बदल विरोधी कानून बनाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की मंशा पर निशाना साधते हुए गौतम ने कहा कि कहीं उनकी हुकूमत टूट न जाए, इसलिए उन्होंने यह कानून बना दिया। इससे लोकतंत्र का सत्यानाश हो गया। सांसद-विधायकों की आज कोई वेल्यू नहीं।
हरियाणा सचिवालय में पत्रकारों से रू-ब-रू जजपा विधायक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह की मुलाकात से जुड़े सवाल पर कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं। न ही उन्हें बुलाया गया था।
कहा- मैं भी दुष्यंत चौटाला का बनाया हुआ, लेकिन आज नहीं कोई वेल्यू
खुद को विधायक बनाने का श्रेय डिप्टी सीएम दुष्यंत को देते हुए उन्होंने कहा कि मेरे तो सिर्फ 35 हजार वोट थे, जबकि मुझे मिले 73 हजार। इनमें 38 हजार वोट उन्होंने ही दिलाए। इस तरह मैं भी उनका ही बनाया हुआ हूं। हालांकि पार्टी की आंतरिक व्यवस्था पर तीखे बोल बोलते हुए गौतम ने कहा कि यह एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। सारी पावर दुष्यंत चौटाला के पास है। सरकार में केवल उन्हीं की पूछ है। और भी एमएलए हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पूछ रहा। पार्टी बनाने में मेरी भी अहम भूमिका थी, लेकिन आज मेरे पास कुछ नहीं है।
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नए कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए रामकुमार गौतम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पारदर्शी नहीं है। इसका नए सिरे से गठन कर गैरविवादित लोगों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। किसान सदियों से पिट रहा है। हरियाणा-पंजाब में मंडी होने के बावजूद कर्ज तले दबा किसान मरने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि कैमला गांव में जलसा नहीं होने देना अच्छा शगुन नहीं है। सरकार को बहुत समझदारी से चलना पड़ेगा। तीनों कृषि कानून तुरंत रद किए जाने चाहिए।
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