भाजपा ने पलट दी जींद उपचुनाव की बाजी, मिड्ढा के बेटे पर दांव खेलने की तैयारी
जींद उपचुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिवंगत विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को भाजपा में शामिल कराकर बड़ा दांव खेल दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति को दिशा देती आ रही जींद विधानसभा सीट पर भाजपा ने उपचुनाव की बाजी पलट दी। दो बार इनेलो विधायक रह चुके डॉ. हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव दिसंबर में होने की संभावना है। जाट एवं पंजाबी बाहुल्य जींद में भाजपा आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है, लेकिन उपचुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिवंगत विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को भाजपा में शामिल कराकर बड़ा दांव खेल दिया है।
कृष्ण मिड्ढा के भाजपा में शामिल होने से जहां प्रत्याशी की तलाश खत्म हो गई, वहीं इनेलो और कांग्रेस के लिए मजबूत उम्मीदवारों का चयन बड़ी चुनौती बन गया है। आम आदमी पार्टी के इस उपचुनाव में उतरने के कतई आसार नहीं हैं। जींद जिला जाट बाहुल्य माना जाता है और जींद शहरी सीट पर पंजाबियों का अधिक दबदबा है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह जींद जिले से ताल्लुक रखते हैं। उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता जींद जिले के उचाना हलके से विधायक हैं। जींद जिले का काफी बड़ा हिस्सा इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला के हिसार संसदीय क्षेत्र में आता है। हरियाणा में अधिकतर राजनीतिक दल अपनी गतिविधियां जींद, रोहतक अथवा कुरुक्षेत्र से शुरू करते हैं। जींद को इनेलो का गढ़ माना जाता है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का अच्छा खासा राजनीतिक दखल है।
इनेलो में चल रही पारिवारिक कलह का असर जींद उपचुनाव में पड़ने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। इनेलो दिवंगत विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को अपना उम्मीदवार बना सकती थी, लेकिन उनके अचानक भाजपा में शामिल होने से बाजी पलट गई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी कैबिनेट के कई मंत्रियों की मौजूदगी में कृष्ण मिड्ढा को भाजपा में शामिल कराया। पूर्व सांसद सुरेंद्र बरवाला भी हालांकि भाजपा के सशक्त उम्मीदवारों में शामिल हैं। पिछले चुनाव में बरवाला सिर्फ 2200 मतों से डॉ. हरिचंद मिड्ढा से पराजित हुए थे, लेकिन कृष्ण मिड्ढा की दावेदारी अधिक मजबूत नजर आ रही है।
कृष्ण मिड्ढा को यदि उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो डॉ. हरिचंद मिड्ढा के प्रभाव वाले मतों को हासिल करने के लिए उन्हें किसी बोर्ड अथवा निगम का चेयरमैन बनाया जा सकता है। विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल इनेलो के दिवंगत विधायक द्वारा पूछे गए तमाम सवालों के जवाब में करोड़ों रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दे चुके हैं। मुख्यमंत्री के इस दांव पर विपक्षी दलों ने खूब हो-हल्ला मचाया था, मगर अब उससे भी बड़ा दांव खेल दिया गया है।
राजनीतिक दलों के लिए अग्निपरीक्षा होगी जींद उपचुनाव
भाजपा का जींद विधानसभा सीट पर ज्यादा मजबूत जनाधार कभी नहीं रहा है। इस सीट पर इनेलो और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। 2014 को छोड़ दिया जाए तो भाजपा कभी जींद विधानसभा सीट के चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति भी दर्ज नहीं करवा पाई। इस लिहाज से जींद का उपचुनाव भाजपा और सीएम मनोहर लाल के लिए उनके 4 साल के शासनकाल में सबसे कड़ी राजनीतिक चुनौती साबित होगा।
भाजपा के टिकट के दावेदारों में प्रदेश सचिव जवाहर सैनी, सीएम के निजी सचिव राजेश गोयल और स्वामी राघवानंद भी शामिल हैं। कांग्रेस के टिकट के दावेदारों में प्रमोद सहवाग, सुधीर गौतम और अंशुल सिंगला के नाम आ रहे हैं। इनेलो के खाते से फिलहाल प्रदीप गिल का नाम लिया जा रहा है, लेकिन यहां ओमप्रकाश चौटाला कोई नया दांव खेल सकते हैं।