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JBT recruitment scam: हाई कोर्ट में तो कह दिया, पर दोषी नेताओं की Pension recovery कैसे करे सरकार

JBT recruitment scam हाई कोर्ट में तो कह दिया पर दोषी नेताओं की Pension recovery सरकार कैसे करेगी। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 09:21 AM (IST)
JBT recruitment scam: हाई कोर्ट में तो कह दिया, पर दोषी नेताओं की Pension recovery कैसे करे सरकार
JBT recruitment scam: हाई कोर्ट में तो कह दिया, पर दोषी नेताओं की Pension recovery कैसे करे सरकार

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर्स) भर्ती घोटाले (JBT recruitment scam) में सजा काट रहे राजनेताओं से पेंशन की राशि वसूल करने को लेकर सरकार दुविधा में हैैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद हरियाणा सरकार ने अदालत में यह तो कह दिया कि सजायाफ्ता राजनेताओं से पेंशन व सुविधाओं की रिकवरी के लिए उन्हें नोटिस दिए जाएंगे, लेकिन इस केस में किसी भी राजनेता को जनप्रतिनिधि एक्ट के तहत सजा नहीं मिलने के कारण सरकार के हाथ बंधे हुए हैैं।

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित एक याचिका की सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव पहले ही दलील दे चुके कि जेबीटी भर्ती प्रकरण में सजायाफ्ता राजनेताओं को कभी जनप्रतिनिधि एक्ट के तहत सजा नहीं हुई, जिस कारण उनकी पेंशन नहीं रोकी जा सकती। यह केस हाईकोर्ट में अब भी लंबित है। जेबीटी भर्ती प्रकरण में 16 दिसंबर 2013 को पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय सिंह चौटाला, पूर्व राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बड़शामी को दस-दस साल की सजा हुई थी। एक अन्य केस में पूर्व विधानसभा स्पीकर सतबीर कादियान को सात साल की सजा हुई थी।

घोटाले में दोषी पूर्व ब्लाक शिक्षा अधिकारी राम कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के उस नोटिस को चुनौती दी थी, जिसमें सरकार ने उनके सेवानिवृति लाभ व पेंशन रोकने के फरमान जारी किए हैैं। इस केस में 56 अधिकारी व राजनेता दोषी करार दिए गए थे। हरियाणा सरकार ने 2015 में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के पेंशन व सेवानिवृति लाभ रोकने के आदेश जारी कर दिए थे।

पूर्व ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने कोर्ट में कहा था कि यदि अधिकारियों व कर्मचारियों के लाभ रोके जा सकते हैैं तो राजनेताओं के क्यों नहीं? यही सवाल हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल से पूछा। तब कोर्ट को जानकारी दी गई कि केस में शामिल दोषी राजनेताओं को नोटिस जारी कर उनकी पेंशन व सुविधा रिकवर की जाएगी। इस केस में अगली सुनवाई 14 फरवरी को है, लेकिन शुक्रवार को हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने कहा कि अदालत में इस बारे में मौखिक जानकारी दी गई है। पेंशन व सुविधा रोकने की पूरी प्रक्रिया पर विधानसभा सचिवालय के साथ चर्चा की जाएगी। अभी केस की सुनवाई में दो माह का समय है।

हरियाणा में 288 पूर्व विधायक ले रहे पेंशन, चौटाला को मिल रहे 2.15 लाख

हाईकोर्ट में सजायाफ्ता नेताओं की पेंशन व सुविधाएं रोकने के लिए याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एचसी अरोड़ा का कहना है कि 288 पूर्व विधायकों को पेंशन दी जा रही है। इनमें ओमप्रकाश चौटाला दो लाख 15 हजार 430 रुपये, उनके पुत्र अजय चौटाला को 50 हजार 100 रुपये और शेर सिंह बड़शामी को 50 हजार 100 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिल रही है। सतबीर सिंह कादियान को भी पेंशन मिलती है।

विधानसभा का कानून कहता है सजायाफ्ता को नहीं मिल सकती पेंशन

एचसी अरोड़ा के अनुसार हरियाणा विधानसभा की धारा सात-ए (1-ए) (वेतन, भत्ता और सदस्यों की पेंशन) अधिनियम 1975 के तहत अगर किसी विधायक को कोर्ट सजा सुना दे तो वह पेंशन के अयोग्य हो जाता है। मैैंने विधानसभा सचिव के सामने भी पेंशन रोकने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

दलबदल कानून अथवा जनप्रतिनिधि एक्ट के दायरे में नहीं आते चौटाला

हरियाणा विधानसभा के सचिव ने हाईकोर्ट में जो जवाब दायर कर रखा है, उसके मुताबिक कोई भी विधायक, वेतन-भत्ते एवं पेंशन एक्ट के तहत पेंशन का हकदार होता है। जिन पूर्व विधायकों की पेंशन व सुविधाओं की रिकवरी की बात हो रही है, उनकी सदस्यता न तो कभी दलबदल कानून के तहत रद की गई और न ही उन्हें कभी जनप्रतिनिधि कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया।

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