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बरकरार है हरी पगड़ी का आशीर्वाद, भक्ति में है बड़ी शक्ति, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें...

सियासत में कई खबरें ऐसी होती हैं जो मीडिया में ज्यादा सुर्खियों में नहीं आ पाती। हरियाणा के साप्ताहिक कालम जोगिया सब जानता है के जरिये आइए नजर डालते हैं राज्य की कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर ....

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 01:44 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 01:44 PM (IST)
बरकरार है हरी पगड़ी का आशीर्वाद, भक्ति में है बड़ी शक्ति, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें...
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हुए हरी पगड़ी पहने किसान।

चंडीगढ़ [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में हरी पगड़ी पूर्व उपप्रधानमंत्री स्वर्गीय ताऊ देवीलाल के जमाने से ही किसान और हरियाली का प्रतीक रही है। किसान राजनीति में भी हरी पगड़ी का अपना अलग स्थान रहा है। युवा पीढ़ी में बेशक हरी पगड़ी का प्रचलन कम है, मगर आज भी राजनीतिज्ञों को हरी पगड़ी वाले किसान का आशीर्वाद मिल जाए तो वह धन्य हो जाता है।

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कृषि विधेयक संसद में पारित हुए तो किसान आंदोलन के साथ उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नजरिये का मुद्दा भी गर्माने लगा। सरकार में साझेदार दुष्यंत के बारे में कहा जाने लगा कि वह किसान राजनीति से दूर चले गए हैं। दुष्यंत को यहां तक कहना पड़ा कि यदि कृषि विधेयकों से किसान का जरा भी अहित हुआ तो वे अपना पद छोड़ देंगे। आखिर यह विवाद तब थमा जब ग्रामीण आंचल से कुछ हरी पगड़ी पहने किसानों ने उनके चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में जाकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

भक्ति में है बड़ी शक्ति

कोरोना के प्रकोप से हरियाणा के राजनेता भी अछूृते नहीं रहे। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, सांसद और विधायक भी कोरोना की चपेट में आ गए। गुरुग्राम के एक बड़े अस्पताल में इन कोरोना संक्रमितों को एक ही वार्ड होने के कारण आपस में मेल-मुलाकात का भी खूब समय मिला। हां, इतना जरूर था कि सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस के नेता चर्चा के लिए अलग कमरों में एकत्र होते थे। संक्रमणकाल के दौरान इन नेताओं को राजनीति से ज्यादा भगवान याद आए। खैर, इस संकटकाल में नेताओं को भक्ति से कोरोना को हराने की शक्ति भी मिली। फरीदाबाद एनआइटी से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने तो यहां भी अपने साथ संक्रमित रहे सांसद दीपेंद्र हुड्डा और विधायक जगबीर मलिक को रामायाण के प्रसंग सुनाए। प्रसंगों को नीरज ने राजनीति से भी जोड़ा। मसलन, भगवान इंद्र ने जब महर्षि दुर्वासा की भेंट ठुकराई तो इंद्र का सिंहासन डाेलने लगा था।

इतना जरूरी है डायल 112

आपातकालीन सेवाओं के लिए डायल 112 कितना जरूरी है। इसका अंदाजा चाहे किसी को हो या नहीं, मगर सूबे के गृहमंत्री अनिल विज को भरपूर है। गब्बर के नाम से विख्यात अनिल विज वैसे तो किसी अधिकारी के पीछे पड़ते नहीं है, मगर जब पड़ जाते हैं तो फिर उसका हाल क्या होता है, यह सचिवालय में सब जानते हैं। अब डायल 112 सेवा सुविधा का काम पूरा नहीं होने का मुद्दा ही ले लीजिए। गब्बर ने इस सुविधा को तय समयावधि में शुरू नहीं करने पर संबंधित वरिष्ठ अधिकारी से कामकाज ही वापस ले लिया। ये वरिष्ठ अधिकारी महोदय अब बिना कामकाज ही कार्यालय आते हैं और चले जाते हैं। गब्बर के इस एक्शन की गूंज दिल्ली तक पहुंची तो वहां से उन्हें इतनी बधाईयां मिली कि अन्य अधिकारियों को अपना कामकाज छिनने का डर सताने लगा है। भाई, गब्बर तो गब्बर हैं, कुछ भी कर सकते हैं।

मंत्रीजी का अटूट विश्वास

कृषि विधेयकों पर किसानों के आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताते हुए केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में जोगिया से मुखातिब हुए। सवाल-जवाब में कटारिया ने तारीख तय की कि एक अक्टूबर तक किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। कारण पूछा तो उन्होंने एक कहानी सुनाई कि एक बार एक हवाई जहाज का उतरते (लैंडिंग) समय संतुलन बिगड़ गया। सभी यात्री विचलित हो ईश्वर को याद करने लगे, मगर हवाई जहाज में यात्रा कर रहा एक युवक अपनी किताब पढ़ने में मशगूल रहा। सब यात्री हैरान थे। खैर, कप्तान के अनुभव और विवेक से जहाज फिर से संतुलित हो गया। लैंडिंग भी ठीकठाक हो गई। अब यात्रियों ने जहाज से उतरते समय युवक के विचलित न होने का कारण पूछा तो युवक ने बताया कि उसे अपने पिता (जहाज के पायलट) पर विश्वास था। मंत्रीजी को भी पीएम मोदी पर अटूट विश्वास है। 


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