पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के दागी MP व MLA के खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी तलब, तेजी से निपटेंगे मामले
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब हरियाणा व चंडीगढ़ के सभी जिला जजों को सांसदों व विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी देने का आदेश दिया है। केंद्र के साथ ही हरियाणा और पंजाब ने जानकारी देने के लिए मांगा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। सांसद-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट को बनाने की वकालत की थी, उस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने काम शुरू कर दिया है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, सीबीआइ व ईडी की तरफ से इस मामले में हाई कोर्ट के आदेशानुसार जानकारी देने के लिए समय देने की मांग की गई।
चंडीगढ़ समेत हरियाणा व पंजाब ने भी इस मामले जवाब देने के लिए समय देने की मांग की। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को दस दिन का समय देते हुए मामले की सुनवाई 24 मई तक स्थगित कर दी। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने साफ कर दिया है कि अब पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न कोर्ट के समक्ष लंबित सांसदों और विधायकों से संबंधित मामलों का निर्णय हाई कोर्ट की निगरानी में किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ को निर्देश दिया था कि पुलिस महानिरीक्षक रैंक का एक अधिकारी अगली सुनवाई पर पेश होकर सांसदों व विधायकों के खिलाफ लंबित सभी मामलों की अपेक्षित जानकारी बेंच के सामने पेश करे।हाई कोर्ट ने इस तरह के मामलों का शीघ्र निपटान कर व रिपोर्ट पेश करने के लिए पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के जिला जजों को भी इसी तरह का निर्देश जारी किया है।
हाई कोर्ट ने इस मामले में अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता रूपिंदर खोसला को एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र ) नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक नवंबर 2017 को स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश जारी किए थे । इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को इस पर अमल करने के निर्देश भी दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अश्वनी कुमार उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार मामले में सभी हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि एमपी-एमएलए पर लंबित मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए विशेष अदालतें गठित की जाएं।
यह अदालतें हर माह इन मामलों की सुनवाई की स्थिति स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से हाई कोर्ट को सौंपेंगी। हाईकोर्ट को हर तीन माह के भीतर एक सुनवाई करनी होगी जिसमें इन रिपोर्ट का अध्ययन कर आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि मामलों का तेजी से निपटारा हो सके।