Fertility पर भी असर डाल सकता है बढ़ता Pollution, शुक्राणुओं के नुकसान का खतरा
जहरीली हवाओं के कारण न केवल फेफड़ों आंखों त्वचा और दिल की बीमारियां बढ़ने का खतरा है बल्कि पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ने की आशंका है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा और दिल्ली समेत देश के उत्तरी राज्यों में प्रदूषण के लिए भले ही एक-दूसरे पर अंगुली उठाई जा रही है, लेकिन इस समस्या ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। जहरीली हवाओं के चलते न केवल फेफड़ों, आंखों, त्वचा और दिल की बीमारियां बढ़ने का खतरा है, बल्कि पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञ प्रदूषित माहौल में सैर करने के बजाय घर के भीतर रहकर ही वर्कआउट (व्यायाम) करने की सलाह दे रहे हैैं।
कृत्रिम गर्भाधान (आइवीएफ, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) विशेषज्ञ डॉ. निताशा गुप्ता के अनुसार एक्यूआइ (पीएम 10) का सुरक्षा स्तर से 10 गुणा होना स्वास्थ्य समस्या बढ़ने का साफ संकेत देता है। ऐसी स्थिति में फेफड़े व दिल की बीमारियां, स्ट्रोक की समस्या बढ़ रही है। वह बताती हैैं कि पीएम 10 पार्टिकल्स में खून के प्रवाह में फ्री रैडिकल्स बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है, जो पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट की वजह है।
डॉ. निताशा का कहना है कि एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन युक्त पीएम 10 का शरीर में हार्मोन के बदलाव से सीधा संबंध देखा गया है। टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन स्तर में गिरावट से न केवल यौन संबंध की इच्छा घटने लगती है, बल्कि संतान उत्पन्न करने की क्षमता भी कम होने के संकेत मिलते हैं।
उनका कहना है कि हवा में कैडमियम, मर्करी और लेड जैसे हेवी मेटल मौजूद होने से भी शुक्राणुओं की आयु पर असर होता है और 90 दिनों में इसके दुष्परिणाम नजर आने लगते हैं। प्रदूषण की वजह से स्पर्म के आकार और गतिशीलता प्रभावित होने से पुरुष की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, जिससे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और डीएनए को नुकसान पहुंचता है, इसलिए प्रदूषण से जितना बचा जाए, उतना बेहतर है।
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