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Exclusive interview: दुष्‍यंत चौटाला बोले- MSP नहीं दिला पाया तो इस्तीफा दे सरकार से हो जाऊंगा अलग

Exclusive interview हरियाणा के उपमुख्‍यमंत्री और जजपा नेता दुष्‍यंत चौटाला ने किसानों के आंदोलन पर बड़ी बात कही है। उन्‍होंने कहा कि यदि किसानों को एमएसपी नहीं दिला सका तो इस्‍तीफा देकर हरियाणा की सरकार से अलग हो जाऊंगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 08:36 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 09:29 AM (IST)
Exclusive interview: दुष्‍यंत चौटाला बोले- MSP नहीं दिला पाया तो इस्तीफा दे सरकार से हो जाऊंगा अलग
हरियाणा के उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन पर चुप्पी तोड़ते हुए अपने राजनीतिक विरोधियों पर खुलकर हमला बोला है। अभी तक जननायक जनता पार्टी (जजपा) अध्यक्ष डा. अजय चौटाला और उनके छोटे बेटे इनसो अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ही किसानों के मुद्दे पर अपनी पार्टी का पक्ष किसानों के सामने रख रहे थे। कांग्रेस व इनेलो नेताओं के हमले बढ़ते देख डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला खुद सामने आए हैं। उन्‍होंने कहा, अगर किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) नहीं दिला सकता तो इस्‍तीफा दे दूंगा और सरकार से भी अलग हो जाऊंगा।

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किसानों के मुद्दे पर हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से दैनिक जागरण की बातचीत

उनके निवास पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में न केवल मंत्री समूह की बैठक हुई, बल्कि किसानों को उकसाने वाले विरोधियों से निपटने की रणनीति भी तैयार की गई। दैनिक जागरण के हरियाणा ब्‍यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने किसानों के मुद्दे पर सरकार खासकर जननायक जनता पार्टी के रुख को लेकर दुष्यंत चौटाला से विस्तार से बातचीत की। पेश है इसके प्रमुख अंश।

- कांग्रेस और इनेलो आप पर लगातार इस्तीफा देने का दबाव बना रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार में आप किसानों की बात ठीक ढंग से नहीं उठा पा रहे?

- मैं और मेरी पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता केंद्र सरकार के संपर्क में हैं। हमने किसानों की बात को प्रमुखता से केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है। तीन मंत्रियों की कमेटी से मेरी टेलीफोन पर वार्ता हुई है। हम और मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरी मजबूती के साथ केंद्र में किसानों का पक्ष रख रहे हैं। इसी का नतीजा है कि किसान संगठनों से चर्चा के दौर आगे बढ़े। मुझे लगता है कि अगले कुछ घंटों या दिनों में समस्या का समाधान हो जाएगा।

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- किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद करने की मांग कर रहे है। उनकी मांग से आप कहां तक सहमत हैं?

- मेरे सहमत होने या न होने का सवाल नहीं है। किसान चाहते थे कि उन्हें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी मिले। केंद्र सरकार ने उनकी यह बात मान ली है। यह किसानों की जीत है। केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी लिखकर देने को तैयार है। प्रदेश की भाजपा सरकार में हम जब तक हैं, तब तक उनकी फसल का एक-एक दाना खरीदा जाएगा। जब तक मैं सरकार में हूं, तब तक किसानों को एमएसपी की गारंटी देता हूं। जिस दिन मुझे लगेगा कि मैं किसानों को एमएसपी की गारंटी का वादा पूरा नहीं कर पा रहा हूं, उसी दिन इस्तीफा देकर हरियाणा सरकार से अलग हो जाऊंगा।

- आपकी पार्टी के विधायकों में भी नाराजगी हैं। उनका कहना है कि पहले वह किसान हैं, उसके बाद जजपा के नेता हैं?

- मेरी पार्टी के विधायक बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। वह पहले किसान हैं, बाद में विधायक हैं। मैं भी यही कह रहा हूं कि मैं पहले किसान हूं, बाद में विधायक हूं। राज तो आनी-जानी चीजें हैं। चौधरी देवीलाल कहा करते थे कि किसानों की बात सरकार तभी सुनती है, जब किसान की हिस्सेदारी सरकार में हो। हमारी हिस्सेदारी सरकार में है और हमें खुशी है कि सरकार ने हमारे और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से किसानों की बात को सुनकर उन्हें एमएसपी की गारंटी दी है।

- केंद्र सरकार ने किसानों के सामने संशोधित प्रस्ताव पेश किए हैं। किसान फिर भी नहीं मान रहे। उनके अडि़यल रवैये को आप कैसे देखते हैं?

- केंद्र सरकार किसानों की भावनाओं को समझा है। सभी प्रस्ताव किसानों के हित में हैं। एमएसपी की गारंटी दी जा रही है। किसानों को भी चाहिए कि वह भी समझें तथा कुछ लोगों के हाथों में न खेलें। उनके संघर्ष की जीत हो चुकी है। इसलिए इसका श्रेय किसी विरोधी राजनीतिक दल को न लेने दें। यह विशुद्ध रूप से किसानों की अपनी जीत और सरकार की बड़ी उपलब्धि है।

- ऐसा भी कहा जा रहा है कि पूरा किसान आंदोलन पंजाब की कांग्रेस सरकार खासकर वहां के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रायोजित है?

- यह समय किसान के खेतों में काम करने का था। उसे नई फसल की बिजाई करनी थी, लेकिन पंजाब के सीएम ने किसानों को प्रताड़ित करने का काम किया। ऐसा योजनाबद्ध तरीके से हुआ। हरियाणा-पंजाब बार्डर पर जितने भी किसान बैठे हैं, हमारी सरकार ने उनके लिए व्यवस्था की। करीब एक हजार कर्मचारी व अधिकारी तैनात किए गए। हमने हाल ही में गेहूं की खरीद व्यवस्थागत तरीके से एमएसपी पर मंडियों में खरीदी। आगे भी इसी तरह से मंडी सिस्टम के जरिये एमएसपी पर अनाज की खरीद होगी।

- विपक्षी दलों का कहना है कि आप पर किसानों ने भरोसा जताया था, लेकिन आज उनके हितों को लेकर मजबूत लड़ाई नहीं लड़ी जा रही?

- विपक्षी दलों और उनके नेताओं को किसान की बजाय मेरी चिंता सबसे ज्यादा है। उन्हें इस बात का दुख है कि किसानों का सरकार में प्रतिनिधित्व कैसे हो गया। खैर, अब तक हरियाणा सरकार साढ़े सात लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद कर चुकी है। सर्वे में 55 हजार मीट्रिक टन बाजरा और खरीदा जाना है। जिला उपायुक्तों ने लिखित में सरकार के पास भेजा है। इस बाजरे की खरीद की मंजूरी सरकार ने दी दी है। आज तक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। हरियाणा में सिर्फ 75 हजार मीट्रिक टन बाजरे की खपत होती है। हम बाजरा, नरमा, मूंगफली और दालों को एमएसपी पर खरीद रहे हैं। पंजाब व राजस्थान में यह व्यवस्था नहीं है। हरियाणा में आगे भी यह व्यवस्था जारी रहेगी।

- भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार किसानों को कैसे यह भरोसा दिला पाएगी कि उनके हितों की मजबूत पैरवी की गई?

- मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मैंने स्वयं केंद्र सरकार से बात की। हमारी पार्टी की ओर से डा. अजय सिंह चौटाला ने सबसे पहले केंद्र से मांग की थी कि एमएसपी की गारंटी दी जानी चाहिए। अब केंद्र इसे लिखित में दे रहा है। यूनियनों को भी सकारात्मक सोच रखनी होगी। हम किसानों के हितैषी हैं। उनका नुकसान नहीं होने देंगे। उनकी फसल का दाना-दाना खरीदेंगे। पूरा पैसा खातों में भिजवाएंगे। उन्हें मंडियों में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

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खास बातें

- केंद्र ने किसानों की बात मानी, उनकी जीत हुई, किसान विपक्ष को न करने दें राजनीति।

- देवीलाल कहा करते थे, सरकार में हिस्सेदारी पर सुनी जाती है किसानों की बात।

- फसल बोने का समय था, लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने इस समय किसानों को प्रताडि़त किया।

- हरियाणा में खरीदा गया साढ़े सात लाख मीट्रिक टन बाजरा, 55 हजार मीट्रिक टन और खरीदेंगे।

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