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हरियाणा में मेडिकल कालेज के फैकल्‍टी को झटका, बगैर नोटिस नौकरी छोडी तो देना होगा तीन माह का वेतन

हरियाणा के मेडिकल कालेजों से नौकरी छो़ड़ने वाले फैकल्‍टी हरियाणा सरकार ने तगड़ा झटका दिया है। मेडिकल फैकल्‍टी को बिना नोटिस नौकरी छोड़ने पर तीन महीने की सैलरी सरकार को जमा करानी होगी। नौकरी छोड़ने के लिए उनको तीन माह पहले नोटिस देना पड़ेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 07:20 AM (IST)
हरियाणा में मेडिकल कालेज के फैकल्‍टी को झटका, बगैर नोटिस नौकरी छोडी तो देना होगा तीन माह का वेतन
हरियाणा में मेडिकल कालेजों के फैकल्‍टी को नौकरी छोड़ने से पहले तीन माह का नोटिस देना होगा। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना तीन माह का नोटिस दिए इस्तीफा देने पर मेडिकल कालेजों के फैकल्टी को तीन माह के वेतन के बराबर राशि राज्य सरकार को देनी होगी। हाई कोर्ट ने यह भी माना कि भले ही राज्य संचालित मेडिकल कालेजों में फैकल्टी के रूप में शामिल होने वालों के नियुक्ति पत्रों में तीन महीने के वेतन की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया हो, वे राज्य सरकार द्वारा 19 फरवरी को लिए गए नीतिगत निर्णय से शासित होते हैं।

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हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के निर्णय पर लगाई मुहर

जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने यह आदेश दो एसोसिएट प्रोफेसर की याचिका को खारिज करते हुए दिए। इस मामले में याची दो डाक्टरों को 2017 में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में हरियाणा के मेवात के शहीद हसन खान मेवाती सरकारी मेडिकल कालेज नूंह में नियुक्ति मिली थी। बाद में उन्होंने मेडिकल कालेज से इस्तीफा दे दिया था और मध्य प्रदेश में स्थापित नए मेडिकल कालेजों में चयनित हो गए । लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें एनओसी और अनुभव प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए तीन महीने का वेतन जमा करने को कहा।

शिक्षण कार्य में लगे दो डाक्टरों की याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने दिया फैसला

राज्य सरकार के अनुसार, याचिकाकर्ताओं को हरियाणा में मेडिकल कालेज छोड़ने से पहले तीन महीने का अग्रिम नोटिस देना आवश्यक था। हरियाणा सरकार द्वारा एनओसी और अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने के लिए तीन महीने के वेतन की मांग से व्यथित, याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका तर्क था कि नियुक्ति पत्रों में तीन माह का वेतन जमा करने का प्रावधान नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को जमा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

उनकी याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार ने 19 फरवरी, 2018 के निर्देशों की कोर्ट को जानकारी दी, जिसमें प्रावधान है कि शिक्षण संकाय के एक सदस्य को परिवीक्षा की अवधि के दौरान संस्थान छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है, यदि वह नौकरी छोड़ता है तो तीन माह की अग्रिम सूचना अथवा उसके एवज में तीन माह का वेतन जमा करना होगा।

हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि हरियाणा सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य के भीतर या बाहर किसी अन्य मेडिकल कालेज में आवेदन करने के लिए शिक्षण संकाय के सदस्यों को एनओसी जारी करने के संबंध में एक नीति अधिसूचित की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने देखा कि नियुक्ति पत्र के खंड 3 और 4 को संयुक्त रूप से पढ़ने पर, यह स्पष्ट है कि हरियाणा राज्य में उनकी सेवाएं केवल हरियाणा चिकित्सा शिक्षा सेवा नियम, 1988 द्वारा शासित हैं।

इस प्रकार, राज्य सरकार द्वारा 19 फरवरी, 2018 को लिया गया नीतिगत निर्णय जो याचिकाकर्ताओं के इस्तीफा देने से पहले जारी किया गया था उन पर लागू होता है। हाई कोर्ट ने कहा कि तीन महीने के वेतन की पूर्व जमा राशि के बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र और अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने से इन्कार करने का सरकार का निर्णय उचित है। इस लिए याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट कोई राहत नहीं दे सकता। इसी इसी टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।


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