मैं हूं हरियाणा, 53 साल में खूबसूरत लम्हों का बना गवाह तो कई जख्म भी झेले
हरियाणा के गठन के आज 53 साल पूरे हो गए। इस दौरान राज्य ने प्रगति की बुलंदियों को छुआ। हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया लेकिन जाट आंदोलन के दौरान हिंसा सहित कई जख्म भी झेले
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। मैं हरियाणा हूं। आज 53 बरस हो गया और 54वें बरस में प्रवेश करगया हूं। आज के ही दिन मैं पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया था। अपने अब तक के सफर में तमाम उतार-चढ़ावों के बीच मैैंने जवानी के खूबसूरत लम्हों को जिया तो साथ ही सीने पर कई तरह के कभी न भूल सकने वाले जख्म भी सहे। इसके बाद भी उन्नति के पथ पर अग्रसर रहा, बिना विचलित हुए।
मेरे अस्तित्व में आने के बाद मुझ पर अब तक 10 मुख्यमंत्रियों ने 21 बार राज किया
मेरे अब तक के सफर में दक्षिण से लेकर उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक विकास के तमाम द्वार खुले। विकास के फलक पर मैैंने इतनी प्रगति की कि अपने बड़े भाई पंजाब व छोटे भाई हिमाचल को पीछे छोड़ दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती, परिवहन, खेल, सड़क और बिजली सहित बुनियादी ढांचे की तस्वीर काफी हद तक बदली। इसके बावजूद कई समस्याएं अब भी ऐसी हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए मुझे नीति निर्धारकों की दृढ़ इच्छा शक्ति और प्रदेश की जनता के सहयोग की जरूरत है।
एसवाईएल, अलग राजधानी और हाईकोर्ट का सपना अभी भी अधूरा
मुझ पर अब तक 10 मुख्यमंत्रियों ने 21 बार राज किया। हर किसी ने मेरे विकास की चिंता की। लेकिन अब भी चार मुद्दे ऐसे हैं जो मुझे जन्म से ही गहरा दर्द देते आ रहे हैैं। सियायत के खेल में किसी ने इनका मर्म नहीं समझा। बेशक बड़े भाई पंजाब से अलग होने के बाद मैंने अपनी अलग पहचान बनाई। विकास, वित्तीय स्थिति और खुशहाली के मामले में मैैंने पंजाब को पीछे छोड़ दिया, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनको लेकर आज भी पंजाब से ही मुकाबला होता है।
जाट आंदोलन में हिंसा के दौरान यह नजारा देखने को मिला।
मेरे कर्मचारी पंजाब के समान वेतनमान एवं भत्ते मांग रहे हैैं। सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर शुरू से ही पंजाब ने हठधर्मिता दिखाई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर नहर को पाट दिया गया। अब भी मेरे हिस्से का पानी देने को तैयार नहीं। भला हो, मनोहर लाल सरकार का, जिसने मेरे हिस्से के पानी की सुप्रीम कोर्ट में लंबे अरसे बाद पैरवी की, मगर पानी अभी भी नहीं मिला।
इसी तरह अलग राजधानी का मुद्दा भी नहीं सुलझा। चंडीगढ़ में हिस्सेदारी के लिहाज से मुझे सिर्फ 40 फीसद हिस्सा मिला, जबकि पंजाब को 60 फीसद है। मजबूरन मुझे अपने आधे सरकारी कार्यालय पंचकूला शिफ्ट करने पड़े। अलग हाईकोर्ट का मेरा सपना अभी भी अधूरा है। दक्षिण हिस्से में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की कवायद से कुछ उम्मीद जरूर बंधी थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी।
बड़े भाई पंजाब से हिंदी भाषी इलाके को लेकर भी मेरा टकराव खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा। पंजाब के हिंदी भाषी इलाके हमें मिलने चाहिए। हिंदी भाषी इलाके, एसवाईएल का पानी और अलग राजधानी स्थापित करने का पूरा खर्च मिलने पर चंडीगढ़ पंजाब को देने की बात कही जाती है पर क्या यह उचित होगा, इस पर भी मंथन करने की जरूरत है। वह भी उस स्थिति में जब दो दिन पहले ही हाईकोर्ट में पंजाब चंडीगढ़ को अपनी राजधानी मानने पर दावेदारी ढीली कर चुका है।
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53 साल पहले का हरियाणा और अब की स्थिति
1966 2019
जिले - 7 - 22
गांव - 2555 - 7356
जनसंख्या - एक करोड़ - 2.70 करोड़
ग्रामीण आबादी- 82.34 फीसद - 70 फीसद
जनसंख्या घनत्व -227 - 575 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
प्रति व्यक्ति आय - - 2 लाख 26 हजार 644 रुपये वार्षिक
साक्षरता दर - - 75.55 फीसद
लिंगानुपात - - एक हजार लड़कों पर 920 लड़कियां
महिला पुलिस थाने - 0 - 33
महिला कालेज - 5 - 62
24 घंटे बिजली - 0 - 3900 गांव
सकल घरेलू उत्पाद - 332 करोड़ - 628560 करोड़
राजस्व संग्रहण - 75 करोड़ 68810 करोड़
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शिक्षा के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति
हरियाणा में पिछले 53 सालों के अंतराल में शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। राज्य में 14 हजार 500 सरकारी स्कूल हैैं। राज्य में 299 कालेज हैैं, जिनमें 115 सरकारी, 88 सरकारी अनुदान प्राप्त और 16 स्वयं वित्त पोषित कालेज हैैं। प्रदेश में 23 विश्विद्यालय हैं।
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स्वास्थ्य के क्षेत्र में लंबी उड़ान
रोहतक पीजीआइ समेत 11 बड़े मेडिकल कॉलेज। पांच हजार बेड की क्षमता वाले 63 नागरिक अस्पताल हैं। कुल पीएचसी 515 और 128 सीएचसी हैं। वहीं 3000 सब सेंटर हैं। मौजूदा सरकार हर एक जिले में एक मेडिकल कालेज का सपना लेकर आगे बढ़ रही है।
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84 फीसदी क्षेत्र में हो रही खेती
प्रदेश में 3.7 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र है। यह कुल क्षेत्र का 84 फीसद के लगभग है। कुल सिंचित क्षेत्र करीब 3 मिलियन हेक्टयर में से 43.4 फीसद नहरों और 56.7 फीसदी ट्यूबवेल से सिंचित है। किसानों की आय का साधन खेती है, जिसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है। राज्य के करीब 10 लाख किसान कर्ज में डूबे हैैं।
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