मैैं 52 बरस का हरियाणा, खूबसूरत लम्हों को जिया तो जख्म भी खूब सहे
मैं हरियाणा हूं। आज 52 बरस का हो गया। इन 52 सालों में मैंने तमाम उतार-चढ़ावों के बीच मैैंने खूबसूरत लम्हों को जिया तो कई तरह के जख्म भी सहे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। मैं हरियाणा हूं। आज 52 बरस का हो गया। आज के ही दिन मैं अपने बड़े भाई पंजाब और छोटे भाई हिमाचल प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया। तमाम उतार-चढ़ावों के बीच मैैंने जवानी के खूबसूरत लम्हों को जिया तो सीने पर कई तरह के कभी न भूल सकने वाले जख्म भी सहे। अब तक के सफर में दक्षिण से लेकर उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक मेरे विकास के तमाम द्वार खुले और अपने भाइयों को मैैंने पीछे छोड़ दिया।
विकास यात्रा और बुनियादी ढांचे में पीछे छोड़े बड़ा भाई पंजाब और छोटा भाई हिमाचल प्रदेश
हर साल मैं अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाता रहा हूं। मेरी पचासवीं वर्षगांठ पर लगातार पूरे साल विभिन्न कार्यक्रमों से इतिहास रचा गया, जिसका पूरा देश साक्षी रहा है। हालांकि इस बार मेरे 53वें जन्मदिन पर नीति नियंताओं और कर्मचारियों के टकराव ने कुछ रंग में भंग डाल रखा है। उम्मीद है कि मसला जल्द सुलझेगा और मैं विकास पथ पर दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से आगे बढ़ूंगा। मुझे इस बात का बेहद सुकून है कि मेरी व्यवस्थाओं में पहले के मुकाबले काफी अंतर आया है। अब राष्ट्रीय फलक पर मेरी एक अलग ही पहचान बनी है।
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हरियाणा तब और अब
वर्ष 1966 वर्ष 2018
जिले - सात 22
जनसंख्या - एक करोड़ 2.54 करोड़
ग्रामीण आबादी- 82.34 फीसद 70 फीसद
शहरी आबादी- 17.66 फीसद 30 फीसद
जनसंख्या घनत्व 227 प्रति वर्ग किमी 573 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 96 हजार 982 रुपये वार्षिक
साक्षरता दर - 76.64
लिंगानुपात - 879
सकल घरेलू उत्पाद- 332 करोड़ 6.08 लाख करोड़
राजस्व संग्रहण- 75 करोड़ 70 हजार 85 करोड़
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बुनियादी ढांचे की बदली तस्वीर
शिक्षा : प्रदेश में कुल 14 हजार 436 सरकारी स्कूल हैं, जबकि इससे करीब तीन गुना निजी स्कूल हैं। इसी तरह 332 कॉलेज, एक स्टेट यूनिवर्सिटी, सात विश्वविद्यालय, 22 निजी विश्वविद्यालय और 477 बीएड कॉलेज हैं।
स्वास्थ्य : रोहतक पीजीआइ समेत छह बड़े मेडिकल कॉलेज। 4633 बेड की क्षमता वाले 56 नागरिक अस्पताल हैं। कुल पीएचसी 485 और 119 सीएचसी हैं। वहीं 2900 सब सेंटर हैं।
परिवहन : प्रदेश में कुल 1500 किमी की लंबाई केसाथ करीब 30 नेशनल हाईवे हैं। 2500 किमी की लंबाई के साथ कई स्टेट हाईवे हैं। रोडवेज के बेड़े में चार हजार बसें हैं जो प्रतिदिन 13.50 लाख यात्रियों को ले जाती हैं।
खेती : प्रदेश में 3.7 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र है। यह कुल क्षेत्र का 84 फीसद के लगभग है। कुल सिंचित क्षेत्र करीब 3 मिलियन हेक्टयर में से 43.4 फीसद नहरों और 56.7 फीसदी ट्यूबवेल से सिंचित है।
बिजली : प्रदेश में 13818.02 मेगावाट बिजली का उत्पादन थर्मल और हाइडल प्रोजेक्ट से हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 55 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ता हैं। 5500 करोड़ का बिजली बिल बकाया है।
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दस मुख्यमंत्रियों ने किया राज, तीन बार राष्ट्रपति शासन
नाम - कब से कब तक - पार्टी और सीएम पद का कार्यकाल
1. पंडित भगवत दयाल शर्मा - 1 नवंबर 1966 से 23 मार्च 1967 - कांग्रेस - 143 दिन
2. राव बीरेंद्र सिंह - 24 मार्च 1967 से 2 नवंबर 1967 - विशाल हरियाणा पार्टी - 224 दिन
राष्ट्रपति शासन - 2 नवंबर 1967 से 22 मई 1968 - 202 दिन
3. बंसीलाल - 22 मई 1968 से 30 नवंबर 1975 - कांग्रेस - 7 वर्ष, 192 दिन (2749 दिन)
4. बनारसी दास गुप्ता - 1 दिसंबर 1975 से 30 अप्रैल 1977 - कांग्रेस - 1 वर्ष, 150 दिन (517 दिन)
राष्ट्रपति शासन - 30 अप्रैल 1977 से 21 जून 1977 - 52 दिन
5. देवी लाल- 21 जून 1977 से 28 जून 1979 - जनता पार्टी - 2 वर्ष, 7 दिन (738 दिन)
6. भजन लाल - 29 जून 1979 से 22 जनवरी 1980 - जनता पार्टी - 208 दिन
6.1. भजन लाल (दोबारा) - 22 जनवरी 1980 से 5 जुलाई 1985 - कांग्रेस - 5 वर्ष, 164 दिन (1992 दिन)
7. बंसीलाल (दोबारा)- 5 जुलाई 1985 से 19 जून 1987 - कांग्रेस - 1 वर्ष, 349 दिन
8. देवी लाल (दोबारा) - 17 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 1989 - जनता दल - 2 वर्ष, 138 दिन (कुल 1608 दिन)
9. ओमप्रकाश चौटाला - 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990 - जनता दल - 172 दिन
10. बनारसी दास गुप्ता (दोबारा) - 22 मई 1990 से 12 जुलाई 1990 - जनता दल - 52 दिन (कुल 569 दिन)
11. ओमप्रकाश चौटाला (दोबारा)- 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 - जनता दल 6 दिन
12. मा. हुकम सिंह - 17 जुलाई 1990 से 21 मार्च 1991 - जनता दल 248 दिन
13. ओमप्रकाश चौटाला [तीसरी बार)- 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 - समाजवादी जनता पार्टी - 16 दिन
राष्ट्रपति शासन- 6 अप्रैल 1991 से 23 जुलाई 1991 - 108 दिन
14. भजन लाल (तीसरी बार) - 23 जुलाई 1991 से 9 मई 1996 - कांग्रेस - 4 वर्ष, 291 दिन (कुल 3952 दिन)
15. बंसीलाल (तीसरी बार)- 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 - हरियाणा विकास पार्टी - 3 वर्ष, 74 दिन (कुल 4633 दिन)
16. ओमप्रकाश चौटाला (चौथी बार) - 24 जुलाई 1999 से 4 मार्च 2005 - इंडियन नेशनल लोकदल - 5 वर्ष, 224 दिन (कुल 2245 दिन)
17. भूपेंद्र सिंह हुड्डा - 5 मार्च 2005 से 19 अक्टूबर 2014 - कांग्रेस - 9 वर्ष, 235 दिन
18. मनोहर लाल - 26 अक्टूबर 2014 से अब तक - भारतीय जनता पार्टी
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भ्रूण हत्या का धुल रहा दाग, खुले में शौच और केरोसिन से मिली मुक्ति
सिस्टम में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार पर अंकुश, पढ़ी-लिखी पंचायतें, लिंगानुपात में सुधार, खुले में शौच और केरोसिन से मुक्ति, ऑनलाइन तबादले, सीएम विंडो, ई-दिशा केंद्र, ग्रामीण सचिवालय, बुजुर्गों और विधवाओं को दो हजार रुपये पेंशन, छात्र संघ चुनाव, नई खेल पॉलिसी हरियाणा की नई पहचान है। हालांकि विश्व स्तरीय शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं, सभी को रोजगार, कच्चे कर्मचारियों का नियमतिकरण सहित कई मुद्दों पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
शिक्षा : सरकारी स्कूल-कॉलेजों में बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करते हुए बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा, बैग फ्री स्मार्ट क्लास, ज्वायफुल-डे जैसे कई सफल प्रयोग हुए। लड़कियों के लिए अलग कॉलेजों और मुफ्त बस यात्रा की योजना सिरे चढ़ी। पहली बार दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को लेपटॉप देने की प्रथा शुरू हुई। हालांकि सरकारी स्कूलों में ड्राप आउट और गिरते परीक्षा परिणाम से अभी पार पाना बाकी है।
खेती : प्रदेश सरकार जहां स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का दावा कर रही, वहीं किसान खुश नहीं। लागत मूल्य पर 50 फीसद मुनाफा अभी दूर की कौड़ी है। धान-बाजरा-और गन्ना उत्पादक किसानों को सरकार कभी संतुष्ट नहीं कर पाई। हांसी-बुटाना लिंक नहर हो या सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल), किसानों की प्यासी धरती को पानी नहीं मिल पाया।
स्वास्थ्य : हर जिले में मेडिकल अस्पताल का वादा अभी अधूरा है। तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी पूरी नहीं होने से सरकारी अस्पतालों का सिस्टम नहीं सुधर पाया। झज्जर के बाढ़सा में बन रहा एम्स अभी सिरे नहीं चढ़ पाया तो कैंसर अस्पताल का सपना अभी अधूरा है। हालांकि गरीबों को निजी अस्पताल में पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की शुरुआत सरकार की बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।
गोरक्षा : गो-संरक्षण के लिए गोसेवा आयोग बना। गायों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी तथा कैटल-फ्री प्रदेश के लिए गोशालाओं को अनुदान सहित कई तरह की योजनाएं बनी। इससे काफी हद तक गोवंश की स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन अपेक्षित परिणाम अभी बाकी हैं। न गोचराण भूमि कब्जों से मुक्त हुई और न गोवध निषेध कानून सख्ती से लागू हो पाया।
कर्मचारी : कर्मचारियों को लेकर किए अधिकतर चुनावी वादे अधूरे हैं। न पंजाब के समान वेतनमान मिला और न अनुबंध पर कर्मचारी रखने की की प्रथा बंद हुई। गेस्ट टीचर अब भी सड़कों पर हैं। यही वजह है कि देश में सबसे पहले सातवें वेतन आयोग का लाभ देने के बावजूद कर्मचारी संगठन सरकार के लिए सिरदर्दी बने हुए हैं। शिक्षा सहित दूसरे विभागों में ऑनलाइन ट्रांसफर शुरू होने से कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली।
केएमपी : कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे (केएमपी) को चालू करने का वादा पूरा होने को है। वर्षों तक लटके रहे इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से न केवल दूसरे राज्यों में जाने वाले वाहनों को दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि पांच नए हाईटेक शहर बनने से प्रदेश की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।