पति की अर्जी- पत्नी खाना नहीं बनाती और फोन पर चिपकी रहती है, हाईकोर्ट ने कहा- यह आम बात
एक व्यक्ति ने पत्नी से तलाक के लिए याचिका दी। उसने कहा कि पत्नी खाना नहीं बनाती और फोन पर मायके बात करती रहती है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह आम बात है और याचिका खारिज कर दी।
चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। अक्सर पति को शिकायत रहती है कि पत्नी अच्छा खाना नहीं पकाती है और हमेशा मायके से बातें करती रहती है। मायके के लोगों के सिवा किसी की परवाह नहीं करती। इस कारण पति-पत्नी में विवाद होता रहता है और मामला तलाक तक पहुंच जाता है। ऐसे ही एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। पति ने पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक मांगा था। पति का कहना था कि पत्नी खाना नहीं बनाती है और हमेशा फोन पर मायके बात करती रहती है। हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी का अच्छा खाना नहीं बनाना या फिर मायके के प्रति अधिक लगाव रखना क्रूरता की श्रेणी में नहीं है।
हाई कोर्ट कहा कि यह सब मामूली बातें हैं और लगभग हर पति-पत्नी में होती रहती हैं। ऐसे में इस आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता। अदालत ने पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर विवाद का आपसी सामंजस्य से समाधान निकालने को कहा।
दरअसल चंडीगढ़ निवासी एक व्यक्ति ने तलाक के लिए पहले जिला अदालत में याचिका दी थी। वहां याचिका खारिज होने के बाद उसने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अर्जी दी। उसने याचिका में कहा कि पत्नी का उसके प्रति व्यवहार क्रूरतापूर्ण होता है। उसको अच्छा खाना नहीं बनाने आता है और वह अक्सर खाना नहीं बनाती है। वह हमेशा फोन पर चिपकी रहती है और मायके वालों से बातें करती रहती है। पति के आरोप पर पत्नी ने कहा कि पति उसे दहेज कम मिलने के कारण तंग करता है। इसी के चलते वह इस तरह के आरोप लगा रहा है।
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पति का कहना था कि पत्नी के किसी अन्य व्यक्ति से संबंध हैं और इस कारण वह उस पर (पति पर) ध्यान नहीं देती है। वह सामान्य खाना भी नहीं बना सकती, जिस कारण वह कई बार तो उसे काम पर बगैर भोजन के जाना पड़ता है। पति ने कहा कि घर में वह मायके वालों को छोड़ कर किसी का आना-जाना पसंद नहीं करती। पत्नी का उसके प्रति व्यवहार शादी के बाद से ही क्रूरतापूर्ण रहा है।
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इस पर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि पत्नी का मायके वालों के प्रति अधिक लगाव और खाना नहीं बनाने को क्रूरतापूर्ण नहीं कहा जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आरोपों को तुच्छ माना जा सकता है जो किसी भी पति-पत्नी की बीच की आम घटना है। यह तलाक का ठोस आधार नहीं बन सकती। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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