हुड्डा का दावा- राज्यसभा चुनाव में होती क्रॉस वोटिंग, कांग्रेस के पास था 37 विधायकों का जुगाड़
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि यदि राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान होता तो उन्होंने पार्टी के 31 विधायकों के साथ ही कुल 37 विधायकों का जुगाड़ कर लिया था।
जेएनएन, चंडीगढ़। राज्यसभा चुनाव में भाजपा यदि कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र हुड्डा के सामने अपना उम्मीदवार उतार भी देती तो क्रॉस वोटिंग तय थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने बेटे को जिताने के लिए पार्टी के 31 विधायकों के साथ ही कुल 37 विधायकों का जुगाड़ कर लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री का दावा है कि इनेलो के इकलौते विधायक अभय चौटाला के साथ ही कुछ निर्दलीय और भाजपा-जजपा के कुछ विधायकों ने वोटिंग की स्थिति में दीपेंद्र हुड्डा के समर्थन में मतदान का भरोसा दिलाया था।
एमएलए हॉस्टल में पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कुमारी सैलजा उनकी बहन जैसी हैं और पार्टी अगर उन्हें टिकट देती तो वह पूरी तरह उनका समर्थन करते। उन्होंने दावा किया कि दीपेंद्र सिंह को सैलजा का आशीर्वाद मिला है और कहीं कोई मतभेद नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा-जजपा की सरकार लोगों को सब्जबाग दिखाकर गुमराह कर रही है। महंगाई व बेरोजगारी दिनोंदिन बढ़ती जा रही, जबकि कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। प्रदेश दिवालियेपन के कगार पर है। आज हर बच्चा 80 हजार रुपये का कर्ज लेकर पैदा होता है।
धान खरीद में हजारों करोड़ का घोटाला करार देते हुए हुड्डा ने कहा कि सरकार इसकी जांच सीबीआइ या फिर हाई कोर्ट के सीटिंग जज से कराए। वह खुद पूरे मामले में सबूत जुटा रहे हैं और जल्द ही इन्हें सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने कहा कि बजट में जो दिखाया गया, वह केवल तालियां बजवाने के लिए था। असल में संभावित बजट और वास्तव में खर्च किए गए बजट में जमीन-आसमान का अंतर होता है। हर पैरामीटर पर सरकार नीचे जा रही है। स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा सहित हर कैटेगरी में कभी आवंटित राशि पूरी खर्च नहीं हो पाई।
बढ़ते कर्ज पर श्वेतपत्र लाए सरकार
हरियाणा पर बढ़ते कर्ज को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार श्वेतपत्र लेकर आए। छह साल में कर्ज तीन गुणा बढ़ चुका है। इस दौरान मेट्रो या रेलवे की एक इंच लाइन नहीं बढ़ी और न कोई नई यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज सहित कई बड़ा प्रोजेक्ट लगा। इसके उलट बिजली उत्पादन की क्षमता घट गई। अभी तक गठबंधन सरकार का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय नहीं होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि बेरोजगारों को 11 हजार रुपये, बुजुर्गों को 5100 रुपये पेंशन, नौकरियों में हरियाणवी युवाओं को 75 फीसद रोजगार के वादे लफ्फाबाजी साबित हुए हैं।
प्रति एकड़ नहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिले मुआवजा
पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों ओलावृष्टि, बरसात और आंधी से हजारों एकड़ में तबाह हुई फसलों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रति एकड़ मुआवजा देने के बजाय किसानों को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर आर्थिक मदद दी जाए। इसके अलावा किसानों और गरीबों की कर्ज माफी पर भी सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
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