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हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट में खारिज

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा में निजी सेक्टर में 75 फीसद आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह प्री मेच्योर याचिका है इसलिए इस पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 01:28 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 05:01 PM (IST)
हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट में खारिज
हरियाणा में निजी सेक्टर में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज।

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 फ़ीसद आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। हरियाणा सरकार ने कहा कि अभी तक इस बाबत कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इस पर अभी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका प्रीमेच्योर है, इसलिए इस पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। हाई कोर्ट ने याचिका वापस लेने की छूट देते हुए इसेे खारिज किया।

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मामले में इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन ने हरियाणा सरकार की नई नीति को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे उद्योगों के लिए घातक करार दिया था। इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन, पंचकूला की तरफ से संजय राठी द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट सरकार की इस नीति को रद करे।

बता दें, हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण के लिए विधानसभा में विधेयक लाया गया था। आरक्षण का प्रावधान 50 हजार रुपये मासिक तक के वेतन की नौकरियों में होगा। राज्य में चल रही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म पर यह कानून लागू होगा, जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं। सदन में यह विधेयक उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रखा।

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याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है। ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने एक कानून बनाकर राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हरियाणा के रिहायशी प्रमाणपत्र धारकों के लिए जरूरी कर दिया। यह आरक्षण 50 हजार रुपये मासिक तक के वेतन की नौकरियों के लिए है।

हरियाणा में चल रही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म पर यह कानून लागू होगा, जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं। एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू किए जाने की जांच कर सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे। कानून के विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण संबंधित विधेयक के महत्वपूर्ण बिंदु

  • हरियाणा के रिहायशी प्रमाणपत्र धारकों को इसका फायदा मिलेगा
  • निजी क्षेत्र के संस्थाओं को 3 महीने में सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत कर यह बताना होगा कि 50 हजार तक के वेतन वाले कितने पद हैं और इन पर राज्य से कितने लोग काम कर रहे हैं।
  • इस कानून के प्रभावी होने के बाद सरकारी पोर्टल पर नौकरियों के पदों संबंधी आंकड़े पंजीकृत किए बिना निजी क्षेत्र के नियोक्ता नए लोगों को नौकरी पर नहीं रख सकेंगे।
  • किसी पद के लिए कौशल कर्मचारी नहीं मिलने पर आरक्षण कानून में छूट दी जा सकती है।
  • एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू किए जाने की जांच कर सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे
  • कानून का पालन ना करने वाली कंपनियों पर इस बिल के प्रविधानों के तहत कार्रवाई होगी
  • कानून के विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है।

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