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गडरिया समुदाय को एससी जातियों में शामिल करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की रोक बरकरार

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गडरिया समुदाय को एससी में शामिल करने के फैसले पर रोक लगाई हुई है। हाई कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान रोक जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 23 दिसंबर तक स्थगित कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 04:55 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 04:55 PM (IST)
गडरिया समुदाय को एससी जातियों में शामिल करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की रोक बरकरार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की उस अधिसूचना पर रोक जारी रखी है, जिसके तहत राज्य सरकार ने गडरिया समुदाय को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने का निर्णय ले रखा है। हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन सत्यनारायण और जस्टिस अर्चना पुरी की खंडपीठ ने अंबेडकर मिशन संस्था पलवल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई 23 दिसंबर तक स्थगित कर दी है। इस मामले मेें याचिकाकर्ता संस्था ने हरियाणा सरकार की 5 जुलाई की अधिसूचना को रद करने की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने 1950 में संविधान की धारा 341 का उल्लंघन करते हुए हरियाणा में एससी की सूची को संशोधित किया था। सरकार ने 7 जुलाई, 2020 को अधिसूचना जारी कर गडरिया जाति को एससी प्रमाणपत्र जारी करने का निर्णय लिया था। 5 जुलाई को हरियाणा सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें गडरिया जाति को सांसी जाति के पर्याय के रूप में जोड़ा गया।

इसके बाद राज्य सरकार ने 7 जुलाई 2020 को एक और अधिसूचना जारी कर निर्देश दिया कि अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र गडरिया जाति के सदस्यों को जारी किया जाए। याचिकाकर्ता के अनुसार, संविधान का अनुच्छेद 341 विशेष रूप से यह प्रावधान करता है। इस तरह की सूची को संशोधित करने का अधिकार केवल संसद को है। हरियाणा सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत भारत संघ द्वारा जारी सूची में संशोधन, बदलाव, स्पष्टीकरण के लिए विधायी क्षमता नहीं है। सरकार के इस फैसले से पूरा एससी समुदाय सीधे प्रभावित होता है। इसलिए इस पर रोक लगाई जाए।

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