सरकार पर सवाल उठाने वाले टीचर की बर्खास्तगी पर हाई कोर्ट की रोक, जानें क्या है मामला...
टीचर ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर मिड-डे मील बांटने पर उठाया सवाल था। उसे तत्काल बर्खास्त कर दिया गया। हाई कोर्ट ने इस पर रोग लगाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। बच्चों के घरों तक मिड-डे मील पहुंचाने का विरोध करने वाले एक शिक्षक अजय वालिया को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राहत देते हुए सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें सरकार ने उसको नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। हाई कोर्ट ने इसी के साथ हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी तलब किया है।
हरियाणा सरकार ने 20 मार्च को शिक्षकों को प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को 44.8 रुपये की कुकिंग लागत के साथ 550 ग्राम गेहूं और 450 ग्राम चावल और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को 67.1 रुपये की खाना पकाने की लागत के साथ 825 ग्राम गेहूं और 675 ग्राम चावल वितरित करने के निर्देश दिए थे।
सरकार के इस आदेश का यमुना नगर में टीजीटी टीचर अजय वालिया ने विरोध किया था। वालिया ने अब अपनी फेसबुक वॉल पर एक वीडियो अपलोड कर कहा कि सरकार का यह आदेश तुगलकी फरमान है। सरकार ने लोगों के सचिवालय में प्रवेश पर भी रोक लगा दी है, सभी कार्यालय बंद है, फिर शिक्षक कौन सी मिट्टी के बने हैंं? उन्होंने कहा कि मिड डे मील को कैसे बांटा जाएगा, क्योंकि बच्चे दूसरे गांव से भी आते हैं। विभाग ने बिना दिमाग लगाए मूर्खतापू्र्ण आदेश देकर संक्रमण को फैलाने का ग्राउंड तैयार किया है। मैं अजय वालिया इस आदेश का विरोध करता हूं।
इसके साथ ही अधिकारियों को इसकी शुरूआत करने का निमंत्रण दिया गया। वालिया ने सरकार के इस आदेश पर यह कहते हुए भी आपत्ति जताई कि प्राइमरी क्लास का बच्चा 550 ग्राम गेहूं को आटे में कैसे बदल पाएगा या वे बैंक से 44.8 रुपये कैसे निकाल पाएंगे। यह केवल औपचारिकता थी और राज्य सरकार द्वारा पूरी तरह से तर्कहीन आदेश दिया गया है। अगर वे वास्तव में छात्रों की मदद करना चाहते थे, तो उन्हेंं हमें कुछ पकाए गए सामानों को वितरित करने के लिए कहना चाहिए था। हरियाणा सरकार ने सोशल मीडिया पर वालिया के वीडियो को भड़काऊ मानते हुए उसकी नौकरी से तुरंत बर्खास्त कर दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान वीरवार को वालिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार का यह कदम तुगलकी है। कैसे एक स्थाई टीचर को एक आदेश के तहत बर्खास्त किया जा सकता है। नियमों के अनुसार पहले उसका पक्ष लेना व उसको समय दिया जाना जरूरी है, लेकिन सरकार ने एक आदेश के तहत की उसको बर्खास्त कर दिया। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक सरकार के उस आदेश पर भी रोक लगा दी जिसके तहत उसको बर्खास्त किया गया था।