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एचसीएस अफसरों को 12 साल के इंतजार के बाद मिली नौकरी, अब जाब पर लटकी तलवार, जानें क्‍या है पूरा मामला

Haryana Recruitment हरियाणा में 2016 में भर्ती हुए एचसीएस अधिका‍रियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। उनको लंबे अरसे बाद नौकरी मिली लेकिन नौकरी से वंचित रहे अभ्‍यर्थियों के हाई कोर्ट पहुंचने से इन अधिकारियों की नौकरी को खतरा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 08:54 AM (IST)
एचसीएस अफसरों को 12 साल के इंतजार के बाद मिली नौकरी, अब जाब पर लटकी तलवार, जानें क्‍या है पूरा मामला
हरियाणा में 2016 में नियुक्‍त एचसीएस अफसरों की नौकरी पर खतरा है। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के 38 एचसीएस अधिकारी अजीब सिथति में फंस गए हैं। एक तो 12 साल के बाद काफी मशक्‍कत से नौकरी मिली और अब इस पर तलवार लटक गई है।  हरियाणा में 2016 में ज्वाइन करने वाले 38 एचसीएस अधिकारियों की नौकरी खतरे में है। 2004 में चौटाला सरकार ने 102 एचसीएस-एलाइड सर्विस के अधिकारियों की भर्ती की थी, जिसमें गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इन 102 एचसीएस अफसरों में से 38 अफसरों की भर्ती को ठीक मानते हुए उन्हें ज्वाइनिंग दी गई।

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 एचसीएस के 22 दावेदारों ने कोर्ट में कहा, 38 के समान हमारी योग्यता, फिर हमें क्यों नहीं कराया ज्वाइन

चौटाला सरकार की इस भर्ती में गड़बड़ी के आरोप के बाद हुड्डा सरकार ने जांच के लिए विजिलेंस की टीम गठित की थी, लेकिन 10 साल बाद तक भी चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिली तो वे कोर्ट चले गए। 2016 में कोर्ट ने भाजपा सरकार को निर्देश दिए कि विजिलेंस द्वारा की गई जांच में जो अभ्यर्थी निर्दोष मिले हैं, उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए। तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी ने विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर 38 अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को सही मानकर उन्हें एचसीएस के रूप में ज्वाइन करा दिया था।

 22 एचसीएस के दावे पर कोर्ट ने कहा, इन्हें भी दें नौकरी या 38 एचसीएस पर कार्रवाई करेसरकार

2016 में ज्वाइन करने वाले इन 38 एचसीएस अधिकारियों की नौकरी पर तलवार लटकने का कारण उनके सहयोगी बाकी अभ्यर्थी हैं, जिन्हें ज्वाइनिंग नहीं मिल पाई है। 102 अभ्यर्थियों में शामिल 22 अभ्यर्थियों ने 38 एचसीएस अफसरों की ज्वाइनिंग को यह कहते हुए कोर्ट में चुनौती दी कि ज्वाइन करने वाले अभ्यर्थियों तथा उनके समान मापदंड हैं। ऐसे में जब 38 एचसीएस को ज्वाइनिंग दे दी गई है तो उन्हें क्यों नहीं नौकरी पर रखा जा रहा है। इस संबंध में कोर्ट में डा. कुलदीप सिंह बनाम स्टेट आफ हरियाणा टाइटल से केस भी चला।

चौटाला के समय में हुई थी 102 एचसीएस की भर्ती, चुनाव आचार संहिता की वजह से नहीं हो पाई थी ज्वाइनिंग

केस की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हरियाणा सरकार यह फैसला करे कि बाकी बचे हुए अभ्यर्थियों के ज्वाइनिंग देनी है या फिर जिन्हें ज्वाइनिंग दी जा चुकी है, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी है। मुख्य सचिव कार्यालय के सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। लिहाजा 2016 में ज्वाइन करने वाले 38 एचसीएस अधिकारियों को नोटिस देने की तैयारी कर ली गई है।

चौटाला व हुड्डा के बीच विवाद में नहीं पिसेगी मनोहर सरकार

एचसीएस अफसरों की भर्ती का मामला चौटाला और हुड्डा सरकारों के बीच टकराव का बड़ा कारण रहा है, इसलिए मनोहर सरकार इस पचड़े में पड़ने की बजाय नौकरियों में शुचिता की अपनी छवि को बरकरार रखने के लिए कोई भी बड़ा फैसला लेने में हिचकिचाने वाली नहीं है। 2004 में चौटाला सरकार में एचसीएस-एलाइड सर्विस के पदों पर जो भर्ती हुई थी, उनकी ज्वाइनिंग से पहले ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। हुड्डा सरकार में हुई विजिलेंस जांच के बावजूद सरकार ने आइपीएस अफसरों की कमेटी बनाकर एक और जांच कराई। इस बीच ज्वाइनिंग के लिए अभ्यर्थी कोर्ट तक पहुंच गए। कोर्ट ने तब भी और अब फिर इस भर्ती प्रक्रिया में पूरा हस्तक्षेप किया है, जिस कारण विवाद सुलझने की बजाय अब उलझता जा रहा है।

38 एचसीएस अफसरों में अनिल नागर भी शामिल

हरियाणा सरकार द्वारा जिन 38 एचसीएस अधिकारियों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है, उनमें हरियाणा लोक सेवा आयोग में उपसचिव के पद पर कार्यरत रहा अनिल नागर नाम का वह अधिकारी भी शामिल है, जो भर्तियों में पैसे लेने के मामले में पकड़ा जा चुका है। प्रदेश सरकार ने इस अधिकारी को निलंबित कर दिया है। अनिल नागर रोहतक का कहने वाला है। प्रदेश सरकार ने 18 नवंबर को आदेश जारी कर अनिल नागर को निलंबित कर दिया है।

इन गलतियों की वजह से उठे से एचसीएस की भर्ती पर सवाल

हाईकोर्ट के निर्देश पर 2016 में जिन 38 एचसीएस को प्रदेश सरकार ने ज्वाइन कराया था, उनकी उत्तर पुस्तिकाओं में भी वही गलतियां बताई जाती हैं, जिनकी वजह से 22 अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिल पाई थी। यह बात स्टेट विजिलेंस ब्यूरो हिसार के तत्कालीन डीएसपी शरीफ सिंह की ओर से हाईकोर्ट में दायर किए हलफनामे में सामने आई थी। तब हाईकोर्ट ने 60 अभ्यर्थियों की आंसरशीट असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पास जमा कराने को कहा था। आंसरशीट में गलतियाें के बावजूद ज्वाइनिंग करने वाले अभ्यर्थियों को किस प्रकार छूट दी गई और किसने इसमें अहम भूमिका निभाई, यह जांच का विषय हो सकता है।

एचसीएस अभ्यर्थियों की आंसरशीट में ये थीं गलतियां

बताया जाता है कि 19 अभ्यर्थियों के नंबर एग्जामिनर की जानकारी के बिना बढ़ाए गए थे। 11 अभ्यर्थियों के नंबर एग्जामिनर की जानकारी के बिना घटाए गए थे। आठ अभ्यर्थियों की आंसरशीट में एग्जामिनर की जानकारी के बिना कटिंग या ओवरराइटिंग मिली थी। दो अभ्यर्थियों की आंसरशीट में प्रश्नों पर पेंसिल से अंक दर्शाए गए थे। पांच अभ्यर्थियों के अंक जुड़ने में गलती मिली।

एक अभ्यर्थी को गलत उत्तर पर भी नंबर दिए गए थे। 17 अभ्यर्थियों की आंसरशीट पर एग्जामिनर द्वारा हस्ताक्षर के लिए विभिन्न रंग की स्याही प्रयोग हुई। आठ अभ्यर्थियों की आंसरशीट में उत्तर लिखने से पहले पेज खाली छूटे मिले थे। आठ अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका के पहले पेज पर ओवर राइटिंग या कटिंग के लिए पहचान की जानकारी सामने आई थी।


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