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MD व MS में प्रवेश की काउंसिलिंग पर HC की रोक, 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने को चुनौती

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एमडी व एमएस में एडमिशन के लिए काउंसलिंग पर रोक लगा दी है। इस प्रवेश में 87 फीसद आरक्षण का आरोप लगाते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 09:52 PM (IST)
MD व MS में प्रवेश की काउंसिलिंग पर HC की रोक, 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने को चुनौती
MD व MS में प्रवेश की काउंसिलिंग पर HC की रोक, 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने को चुनौती

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के कॉलेजों में एमडी और एमएस  कोर्स की काउंसिलिंग पर रोक लगा दी है। इन कोर्स में प्रवेश के लिए 4 और 5 मई को काउंसिलिंग होनी थी। हाई कोर्ट ने यह आदेश हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस  कोर्स की 87 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर जारी किया। इसी के साथ हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को इस मामले में 6 मई के लिए नोटिस जारी कर जवाब भी तलब किया है।

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जस्टिस आरके जैन एवं जस्टिस जसवंत सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इस मामले को लेकर डॉ. विक्रम पाल सहित अन्य कई डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2020-21 में एमडी और एमएस कोर्स की 156 सीटों पर दाखिले के लिए गत वर्ष नवंबर में प्रक्रिया शुरू की गई थी।

याचिका में का गया है कि जनवरी में नीट की परीक्षा हुई और गत माह 15 अप्रैल को इन सीट पर दाखिले के लिए आवेदन मांगे गए। आवेदन की अंतिम तिथि 24 अप्रैल थी और उसके बाद 26 अप्रैल को स्क्रूटनी होनी थी और 4 और 5 मई को काउंसिलिंग तय की गई है।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने इस दाखिलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को अनदेखा कर नियमों के खिलाफ अधिक सीट आरक्षित कर दी। इंदिरा साहनी के केस में सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होगा। लेकिन सरकार ने इन 156 सीटों में से 87  प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी हैं और सिर्फ 31 सीटें सामान्य वर्ग के लिए छोड़ी हैं।

याचिका में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग सहित अन्य पिछड़े वर्ग के साथ 25 प्रतिशत सीटें इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस, 5 प्रतिशत सीट दिव्यांगों और 10 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर  वर्ग के लिए आरक्षित कर दी है । इस लिहाज से 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं जोकि सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।

हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। और साथ ही 4 और 5 मई को इन सीटों पर होने जा रही काउंसिलिंग पर 6 मई को मामले की अगली सुनवाई तक रोक लगाए जाने के आदेश दे दिए हैं।

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