जनता पर हड़ताल का कहर, बसों के संग कार्यालय में भी काम बंद, राहत के नहीं आसार
हरियाणा में जनता हड़ताल का कहर झेलने को मजबूर है। राज्य में रोडवेज कर्मचारी पिछले 16 दिनों से हड़ताल पर हैं व उनके समर्थन में अन्य विभागों के कर्मचारी भी इसमें शामिल हो गए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश में पिछले 16 दिनों से परिवहन व्यवस्था का बुरा हाल है। इस हड़ताल में अन्य विभागों के कर्मचारियों के शामिल हो जाने से जनता पर तो कहर सा टूट पड़ा है। रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के समर्थन में मंगलवार से राज्य के करीब ढ़ाई लाख कर्मचारी भी हड़ताल कर रहे हैं। इससे बसों के लिए भटक रही जनता काे बिजली व पानी आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाएं अौर सफाई व्यवस्था भी प्रभावित होने से भारी परेशानी हाे रही है। लोगों को अपने जरूरी कार्य के लिए सरकारी कार्यालयों में भी धक्के खाने पड़े रहे हैं। बुधवार को भी विभिन्न विभागाें के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इससेमुख्यमंत्री मनोहरलाल ने भी कर्मचारियों से हड़ताल तोड़ने को अपील की है, लेकिन इसका भी असर नहीं हुआ।
दूसरी ओर, हड़ताल पर राजनीति भी शुरू हो गई है। इनेलो विधायक दल के नेता अभय चाैटाला के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी हड़ताल कर रहे रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में सामने अाए हैं। रोडवेज कर्मचारी 720 निजी बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने के विरोध में 16 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं। अधिकारियों और फिर परिवहन मंत्री से रोडवेज कर्मचारी यूनियनों के नेताओं की वार्ता हुई, लेकिन ये विफल रहीं।
15 दिन से बसों को तरस रही जनता, अब स्वास्थ्य, बिजली, सफाई और शिक्षा व्यवस्था भी चौपट
अब रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल की मार झेल रहे प्रदेश के लोग मंगलवार से दूसरी सेवाओं के लिए भी तरस रहे हैं। विभिन्न महकमों के करीब ढाई लाख कर्मचारियों हड़ताल में शामिल होने से न केवल बिजली, स्वास्थ्य और सफाई सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं, बल्कि स्कूलों और दफ्तरों में भी सन्नाटा दिखा रहा है।
प्रदेश सरकार का दावा है कि मंगलवार के बाद बुधवार को भी विभिन्न विभागों में एक लाख 32 हजार कर्मचारियों ने बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली से हाजिरी लगाई और काम-काज सुचारू रूप से चल रहा है। इसके उलट हड़ताल के चलते दर्जनों विभागों में कामकाज ठप रहा। सबसे ज्यादा असर बिजली निगमों में दिखा जहां जूनियर इंजीनियर व कर्मचारियों की दोनों प्रमुख यूनियनों के हड़ताल में शामिल होने से सभी सब डिवीजन व शिकायत केंद्र बंद रहे। इससे बिजली की शिकायतों, बिलों को ठीक करने व बिल भरने सहित लोगों के रोजमर्रा के काम नहीं हुए।
प्रदेश में कुल तीन लाख 80 हजार 637 कर्मचारी हैं जिनमें से मंगलवार को एक लाख 32 हजार 245 कर्मचारी ही काम पर आए। इनमें भी अधिकतर कच्चे कर्मचारी शामिल थे। दूसरी तरफ दो लाख 48 हजार 392 कर्मचारी हड़ताल पर रहे। पचास हजार से अधिक आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील वर्करों के हड़ताल में शामिल होने से रोजमर्रा के काम नहीं हो पाए। बुधवार को भी ऐसी ही हालत है।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग, जन स्वास्थ्य, सिंचाई व बीएंडआर में अधिकतर कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने से काम काज प्रभावित है। हरियाणा टूरिज्म के 90 फीसद से अधिक पर्यटन केंद्र बंद रहे। इसी तरह हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग, आइटीआइ, पंचायत, बीज विकास निगम, राजस्व, सामान्य प्रशासन, बीपीएस खानपुर, हेल्थ विश्वविद्यालय रोहतक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हड़ताल का व्यापक असर दिख रहा है।
'मुख्यमंत्री हस्तक्षेप कर निकालें समाधान'
कर्मचारी नेताओं धर्मबीर फौगाट, बीरेंद्र सिंह डंगवाल, शिव कुमार पाराशर, नरेश कुमार शास्त्री, विजय जौली, सीएन भारती और जगरोशन ने कहा कि बुधवार को भी हड़ताल जारी है। सुभाष लांबा ने आरोप लगाया कि सरकार हड़ताल समाप्त कराने के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और रोडवेज के बेड़े में निजी बसें शामिल करने का फैसला वापस लेकर हड़ताल को समाप्त कराने की मांग की। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष सतवीर सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष विनोद कुमार व महासचिव जय भगवान ने दावा किया कि आज हड़ताल में मंगलवार की अपेक्षा और ज्यादा मजदूर-कर्मचारी शामिल हैं।
हड़ताली कर्मचारियों पर गिर सकती गाज
हड़ताल को तोडऩे में नाकाम रहने के बाद सरकार ने सख्ती और बढ़ा दी है। सभी विभागाध्यक्षों और उपायुक्तों से हड़ताल के दोनों दिन ड्यूटी से गायब रहे कर्मचारियों की डिटेल मांगी गई है। सुबह 11 और शाम चार बजे पंच करने वाले कर्मचारियों को ही उपस्थित माना जाएगा। साथ ही सभी हड़ताली कर्मचारियों को त्योहारी सीजन का हवाला देते हुए अनुरोध किया गया है कि उन्हें तुरंत काम पर लौट आना चाहिए।
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हड़ताल खत्म कराने को विधायकों संग राजभवन जाएंगे हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर रोडवेज कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी करने के आरोप लगाए हैैं। हुड्डा बुधवार को चंडीगढ़ में अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं और विधायकों के साथ राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मुलाकात करेंगे तथा रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल खत्म कराने में हस्तक्षेप की मांग करेंगे।
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रोडवेज की हड़ताल का कोई औचित्य नहीं : मनोहर लाल
उधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि रोडवेज की हड़ताल का कोई औचित्य नहीं बनता है। हमने कर्मचारियों से इसे खत्म करने की अपील की है और लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। यह पॉलिसी मैटर है। उन्होंने कहा कि हम रोडवेज का बेड़ा बढ़ा रहे हैं। 720 बसें लेकर हम कोई निजीकरण का परमिट नहीं दे रहे हैं। ये बसें सिर्फ किराये पर ली जा रही हैं। इनमें ड्राइवर बस मालिक का होगा, जबकि कंडक्टर रोडवेज का होगा। रूट भी हम ही बनाकर देंगे। टाइमिंग रोडवेज लगाएगा। इससे किसी कर्मचारी का अहित नहीं हो रहा है। हमारे अपने जो खर्चे हैं, यह बसें उससे कम खर्चे पर चलने वाली हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हड़ताल पर कर्मचारियों का कहना है कि टेंडर में गड़बड़ी की गई है। यदि टेंडर में कोई गड़बड़ी है तो इसकी जांच कराएंगे। गड़बड़ी मिलने पर टेंडर को रद कर देंगे।
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हड़ताली रोडवेज कर्मियों की तनख्वाह काटेगी सरकार
रोडवेज कर्मचारियों को हड़ताल के दौरान का वेतन नहीं मिलेगा। परिवहन सचिव धनपत सिंह ने सभी महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो कर्मचारी अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहे हैं उन्हें हड़ताल व अनुपस्थित दिनों के वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। वहीं, अनुबंध पर भर्ती किए गए 905 परिचालकों की मेरिट लिस्ट आज जारी होगी। तीन दिन आपत्तियां लेने के बाद पात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाएंगे। मंगलवार को रोडवेज की 2450 बसें सड़कों पर दौड़ी और आज यह संख्या बढ़ेगी।