भ्रष्ट जनसेवकों पर कार्रवाई में ढीले पड़े हरियाणा के अफसर
हरियाणा में अधिकारी जनसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई लेने ढीला रवैया दिखा रहे हैं। लाेकायुक्त की इस बारे में आपत्ति के बाद सरकार जागी है।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। जनसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में हरियाणा के अफसर लोकायुक्त की सिफारिशों को गंभीरता से नहीं लेते। नियमानुसार किसी भी मामले में लोकायुक्त की अनुशंसा पर तीन महीने में कार्रवाई कर रिपोर्ट देनी होती है, लेकिन कई विभागों के प्रमुख इस पर अमल नहीं कर रहे। सिफारिशों की अनदेखी के लगातार बढ़ते मामलों पर लोकायुक्त की आपत्ति के बाद सरकार ने सभी प्रशासनिक सचिवों से जवाब तलब किया है।
लोकायुक्त की सिफारिशों पर महीनों अमल नहीं, एक्शन टेकन रिपोर्ट देने में भी कंजूसी
मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक, बोर्ड-निगमों और सरकारी महकमों के पदाधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, विश्वविद्यालयों के उप कुलपति, सह-उप कुलपति और रजिस्ट्रार तथा संवैधानिक संस्थाओं के पदाधिकारी जनसेवकों की श्रेणी में आते हैं। इनसे जुड़े भ्रष्टाचार सहित अन्य मामलों की जांच लोकायुक्त करते हैं। लोकायुक्त एक्ट की धारा 17 के मुताबिक विभागीय अधिकारियों को लोकायुक्त की रिपोर्ट पर तीन महीने के भीतर एक्शन लेकर एक्शन टेकन रिपोर्ट देनी होती है। इसके उलट कई विभागाध्यक्ष रिपोर्ट पर महीनों तक कार्रवाई नहीं कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दे रहे हैं।
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अगर कुछ मामलों में कार्रवाई करते भी हैं तो रिपोर्ट लोकायुक्त कार्यालय को नहीं देते। कई मामलों में रिपोर्ट जूनियर अधिकारियों की मार्फत भिजवा दी गई, जिसका कानूनन कोई औचित्य नहीं होता। लोकायुक्त ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई तो सरकार ने सख्ती दिखाते हुए सभी विभागाध्यक्षों को हिदायत जारी की है।
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मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी प्रशासनिक सचिवों को लिखित आदेश जारी किए हैं कि लोकायुक्त की सिफारिशों पर हर हाल में तीन माह में एक्शन टेकन रिपोर्ट लोकायुक्त कार्यालय को भेजी जाए। वह भी सक्षम अधिकारी द्वारा। सिफारिशों पर एक्शन के बावजूद समय पर रिपोर्ट नहीं भेजने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।