चुनावी मौसम में कर्मचारी संगठनों ने बदली रणनीति, एेसे जुटाएंगे जनसमर्थन
चुनावी मौसम का फायदा उठा मांगें मनवाने के लिए कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने की नई रणनीति बनाई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। चुनावी मौसम का फायदा उठा मांगें मनवाने के लिए कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने की नई रणनीति बनाई है। विधानसभा के बजट सत्र में कच्चे कर्मचारियों के नियमितीकरण का बिल नहीं लाने और बढ़ा आवास भत्ता (एचआरए) नहीं देने से भड़के सर्व कर्मचारी संघ और मजदूर संगठन सीटू सभी विधानसभा क्षेत्रों में नागरिक सम्मेलन करेंगे। इस दौरान भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में शामिल कर्मचारियों से जुड़े वादों की नाफरमानी से लोगों को अवगत कराया जाएगा।
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि कर्मचारियों की नाराजगी लोकसभा चुनावों में सरकार पर भारी पड़ सकती है। सातवें वेतन आयोग ने जनवरी 2016 से मकान किराया भत्ते में बढ़ोतरी की सिफारिश की थी, लेकिन प्रदेश में इसे अभी तक लागू नहीं किया गया। सरकार ने बकायदा कमेटी भी बनाई, लेकिन शायद ही अभी तक इसकी कोई बैठक हुई हो। बढ़ा एचआरए नहीं मिलने से हर कर्मचारी को औसतन 1500 से दस हजार तक का नुकसान हर महीने हो रहा है।
लांबा ने कहा कि प्रदेश सरकार जब बजट सत्र में गेस्ट टीचरों को 58 साल तक जॉब सिक्योरिटी देने का बिल पारित कर सकती है तो दूसरे विभागों के कच्चे कर्मियों को पक्का करने के लिए रेगुलराइजेशन बिल क्यों नहीं पारित कर सकती। पुरानी पेंशन बहाल करने का प्रस्ताव तक विधानसभा में पारित नहीं किया गया।
हड़ताल व आंदोलन में हजारों कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा व अन्य संगीन धाराओं में झूठे मुकदमे दर्ज कर सेवाएं बर्खास्त करने, निलंबन, हड़ताल अवधि की वेतन कटौती कर सर्विस ब्रेक जैसी उत्पीड़न की कार्रवाई अभी तक लंबित है। सर्व कर्मचारी संघ व सीटू सभी विधानसभा क्षेत्रों में नागरिक सम्मेलन कर सरकार की वादाखिलाफी, जन, कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करेंगे।