रोडवेजकर्मियों से वार्ता का नहीं निकला कोई हल, भिवानी में रोष प्रदर्शन
किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज में 700 बसें शामिल करने पर सरकार और कर्मचारियों में छिड़ा घमासान थमता नहीं दिख रहा।
जेएनएन, चंडीगढ़/भिवानी। किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज में 700 बसें शामिल करने पर सरकार और कर्मचारियों में छिड़ा घमासान थमता नहीं दिख रहा। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद गत दिवस ढाई घंटे चली वार्ता में न तालमेल कमेटी के पदाधिकारी पीछे हटने को तैयार हुए और न परिवहन सचिव पूर्व में जारी हो चुके टेंडर वापस लेने को राजी हैं। अधिकारियों ने अब गेंद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पाले में डाल दी है जो जल्द ही तालमेल कमेटी के साथ बैठक कर मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। वहीं, मंगलवार को भिवानी में परिवहन बेड़े में प्राइवेट 720 बसें शामिल नहीं होने देने और हिरासत में लिए गए कर्मचारियों के साथ अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कर्मचारियों ने शहर में रोष प्रदर्शन किया।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया जेल में उनके साथ बड़े अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। प्रदर्शनकारी नेहरू पार्क से नारेबाजी करते हुए जिला मुख्यालय पहुंचे। प्रदर्शनकारियों की अगुवाई कर्मचारी नेता यादवेंद्र, मास्टर वजीर सिंह, सुखदर्शन सरोहा आदि ने की। बता दें, 18 दिन तक बसों का चक्का जाम कर चुके तालमेल कमेटी के पदाधिकारियों की कल परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह, परिवहन महानिदेशक आरसी बिढ़ान, संयुक्त निदेशक संवर्तक सिंह और वीरेंद्र दहिया तथा एके डोगरा के साथ बैठक हुई।
तालमेल कमेटी की ओर से दलबीर सिंह किरमारा, इंद्र सिंह बधाना, वीरेंद्र सिंह धनखड़, हरिनारायण शर्मा, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान, बाबूलाल यादव, शरबत सिंह पूनिया, पहल सिंह तंवर, बलवान सिंह दोदवा, आजाद गिल, सुल्तान सिंह व नसीब जाखड़ ने स्कीम का विरोध करते हुए गंभीर सवाल उठाए।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि किलोमीटर स्कीम के लिए सरकार ने 21 अप्रैल को विज्ञापन निकाला था। हैरानी की बात है कि 19 सितंबर को पॉलिसी में संशोधन कर उसी दिन 510 बसों के लिए टेंडर भी दे दिए गए। यह बड़े घोटाले का सुबूत है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में जब 14 नवंबर को मामले में सुनवाई होनी है तो परिवहन विभाग ने किस आधार पर 190 बसों के टेंडर और निकाल दिए। उन्होंने आरोप जड़ा कि अफसरों ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब किया।
कर्मचारी नेताओं ने उलाहना देते हुए कहा कि उन्होंने हड़ताल से 22 दिन पहले ही सरकार को नोटिस दे दिया था। अगर सरकार ने पहले ही वार्ता के लिए बुलाकर मसले का हल निकाल लिया होता तो न 18 दिन की हड़ताल होती और न रोडवेज को सौ करोड़ से अधिक का नुकसान होता। इतनी राशि में तो रोडवेज खुद की सैकड़ों बसें तैयार कर सकता था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश पर कर्मचारियों को वार्ता के लिए तो बुलाया गया है, लेकिन सरकार की नीयत अब भी साफ नहीं दिख रही।
हाईकोर्ट में निकल सकती राह
पिछले दिनों मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और फिर परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार के साथ हुई समझौता वार्ताओं को देखते हुए मौजूदा बैठक में भी कोई सर्वमान्य हल निकलने की उम्मीदें बेहद कम थी। बैठक में यही हुआ। अब तालमेल कमेटी नेता हाई कोर्ट में पॉलिसी को चुनौती देकर स्टे लगवाने की कोशिश में लगे हैं। साथ ही अंदरखाते फिर से आंदोलन छेड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार को हाई कोर्ट में सरकार और तालमेल कमेटी के पदाधिकारी अपना पक्ष रखेंगे।
रोडवेज में बेकार खड़ी 1472 बसें
तालमेल कमेटी के दलबीर सिंह किरमारा ने कहा कि रोडवेज बेड़े में स्टाफ की कमी से वर्षों से 1472 बसें बेकार खड़ी हैं। इनमें 350 बसें कभी अपने स्थान से हिली नहीं तो 872 बसें पांच-सात किलोमीटर ही चल पाईं। इसी तरह 250 बसें सौ किमी से अधिक नहीं चलीं। इस पर परिवहन सचिव ने कहा कि वह जांच कराने के बाद ही इस पर कोई जवाब देंगे।
मानवाधिकार आयोग जाएगी तालमेल कमेटी
तालमेल कमेटी पदाधिकारियों ने कहा कि हड़ताल के दौरान रोहतक व भिवानी जेल में बंद कर्मचारियों के कपड़े उतरवाने के साथ ही यातनाएं दी गईं। जनवादी महिला समिति की नेता बिमला घनघस से बाथरूम व टायलेट तक साफ कराए गए। इसके विरोध में तालमेल कमेटी मानवाधिकार आयोग में शिकायत करेगी।