हरियाणा नहीं कर पा रहा तय- केंद्र का कानून लागू करे या खुद का
हरियाणा सरकार बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में कानून को लागू करने के बारे में संशय में है। सरकार की समस्या है कि वह केंद्र द्वारा बनाए गए कानून को लागू करे या अपने कानून को।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने का कानून लागू करने पर संशय पैदा हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश के लिए एक समान कानून बनाए जाने से ऐसे हालात पैदा हुए हैैं। केंद्रीय कानून में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों और 16 साल से कम उम्र की किशोरियों से भी दुष्कर्म व सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को सजा के अलग-अलग प्रावधान किए गए हैैं।
हरियाणा सरकार अब इस दुविधा में है कि वह अपने यहां केंद्र सरकार का कानून लागू करे अथवा राज्य विधानसभा में पारित खुद के कानून को लागू करे। हालांकि राज्य विधानसभा में बनाए गए कानून को अभी तक केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं मिल पाई है। असमंजस की स्थिति के बाद हरियाणा ने दोनों कानूनों की नए सिरे से समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
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हरियाणा के गृह विभाग को केंद्र व राज्य सरकार के कानूनों का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएस प्रसाद जल्द ही पूरी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष पेश करेंगे। गृह विभाग के अधिकारी दोनों कानून की बारीकियों के बारे में कानूनी राय लेंगे।
बता दें कि हरियाणा ने १२ वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में कम से कम 14 साल की सजा का प्रावधान किया है, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में कम से कम २० साल का प्रावधान किया गया, जिसे फांसी की सजा तक बढ़ाया जा सकता है।
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'दोनों एक्ट का अध्ययन और कानूनी राय के बाद फैसला लेंगे'
'' हरियाणा और केंद्र सरकारों ने अलग-अलग कानून बनाए हैैं। राज्य विधानसभा में संशोधित एक्ट पास होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था। अब चूंकि केंद्र सरकार ने भी एक्ट में संशोधन किया है, इसलिए दोनों एक्ट का नए सिरे से अध्ययन किया जा रहा है। कानूनी राय भी ली जाएगी ताकि अंतिम फैसला यह लिया जा सके कि हरियाणा में कौन सा कानून लागू होगा।
- एसएस प्रसाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग हरियाणा।