हरियाणा में बलपूर्वक नहीं हटाए जाएंगे आंदोलनकारी, अनिल विज बोले- किसान खुद स्थगित करें आंदोलन
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बैठे किसानों को जबरन उठाया नहीं जाएगा। हालांकि उन्होंने यह अपील की कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं इसलिए किसान आंदोलन को स्थगित कर दें।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि दिल्ली व हरियाणा की सीमा पर बैठे लोगों को बलपूर्वक हटाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। हमारी इन आंदोलनकारियों से यही अपील है कि कोरोना का प्रभाव बढ़ रहा है और हमें इन सभी के स्वास्थ्य की चिंता है। लिहाजा, वह अपना आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दें। इस दौरान प्रदेश में नए स्ट्रेन के छह मामले सामने आए हैं, जिस वजह से सरकार चिंतित हो रही है।
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में सवालों का जवाब देते हुए गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि बार्डर पर बैठे किसानों से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से अपना आंदोलन स्थगित करने की अपील की थी। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि जब कोरोना खत्म हो जाए तो वह दोबारा आंदोलन करने के लिए आ जाएं। हरियाणा सरकार आंदोलन कर रहे लोगों के प्रति किसी तरह का बल प्रयोग करने वाली है अथवा उन्हें बलपूर्वक हटाया जाएगा, ऐसी कोई चर्चा किसी स्तर पर नहीं हुई है।
अनिल विज ने कहा कि हम आज भी कह रहे हैं कि किसानों को अपना आंदोलन खत्म करना चाहिए। केंद्र सरकार उनसे बातचीत करने को तैयार है। पहले भी बातचीत के कई दौर हो चुके हैं। हम अपनी इस बात पर अडिग हैं कि लाशों के ढेर देखने से अच्छा है कि हम थोड़ा सख्ती कर लें।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते केसों के बीच हरियाणा में पूरी तैयारी है। जरूरत पड़ी तो स्कूलों को भी अस्पताल में बदल दिया जाएगा। धर्मशालाओं को भी अस्थाई अस्पताल बनाने की हमारी योजना है। हमारे पास आक्सीजन और बेड की कोई कमी नहीं है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि हरियाणा में नए स्ट्रेन के छह मामले मिले हैं।
कोरोना की आड़ में आंदोलन खत्म कराने की साजिशः अभय चौटाला
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना बीमारी के फैलने का बहाना बनाकर तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को खत्म कराने की साजिश रच रही है। किसान आंदोलन को खत्म करने का मुख्यमंत्री का आग्रह गैर जिम्मेदाराना है। कोरोना बीमारी से इन्कार नहीं किया जा सकता, लेकिन आंदोलन को खत्म करने की साजिश को इनेलो स्वीकार नहीं करेगी।
चंडीगढ़ में एक बयान जारी कर इनेलो महासचिव ने कहा कि किसान जानता है कि वह कोरोना से तो बच जाएगा, लेकिन तीन कृषि कानून लागू होने के बाद उसकी आने वाली पीढ़ियां बर्बाद हो जाएंगी। आंदोलन को चलते हुए चार माह 21 दिन हो गए, लेकिन आज तक एक भी किसान कोरोना बीमारी से दिवंगत नहीं हुआ। भाजपा का दोगलापन इस बात से दिखाई देता है कि एक तरफ तो कोरोना की आड़ में लाकडाउन का डर दिखा कर आंदोलन को खत्म करने की तैयारी हो रही है, दूसरी तरफ पांच राज्यों में हुए चुनावों में प्रधानमंत्री व गृह मंत्री रैलियां कर रहे हैं।
कुंभ मेले में लाखों लोगों ने स्नान किया। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव करवाए गए। वहां न तो मास्क था और न ही गो गज की दूरी। अभय चौटाला ने पूछा कि क्या वहां कोरोना का असर नहीं है। यह आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश के आम लोगों का आंदोलन है। यदि सरकार को किसानों के हितों की चिंता होती तो वह अब तक तीनों कानून वापस ले चुकी होती। भाजपा सरकार को जल्द किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि सभी किसान सुरक्षित अपने घरों को लौट सकें।