हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का उद्धव ठाकरे व अनिल देशमुख पर हमला, डीजीपी मामले में साधा निशाना
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अनिल विज और गृहमंत्री अनिल देशमुख पर निशाना साधा है। विज ने महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी परमवीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर दोनों नेताओं पर हमला किया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सरकार के गृह एव स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और वहां के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर हमला बोला है। गृह मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर कहा कि 'महाराष्ट्र में 100 करोड़ मासिक उगाही का कांड बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के नहीं हो सकता और यदि मुख्यमंत्री को जानकारी नहीं है कि उसके मंत्री व अधिकारी क्या गुल खिला रहे हैं तो उनको एक पल भी मुख्यमंत्री के पद पर रहने का अधिकार नहीं है। उद्धव ठाकरे को अविलंब इस्तीफा देना चाहिए।'
परमबीर सिंह के चिट्ठी बम पर गृह मंत्री अनिल विज ने दोनों नेताओं पर उठाए सवाल
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए थे। परमबीर सिंह हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। उनका फरीदाबाद व कैथल जिले से कनेक्शन है। परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था कि वहां के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने राज्य के एक पुलिस अधिकारी सचिन वाजे से नियमित वसूली करने को कहा। अनिल देशमुख ने सचिव वाजे से कई बार मुलाकात की और हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा तथा इसके तरीके भी बताए।
कहा- बिना सीएम की जानकारी के नहीं हो सकता 100 करोड़ की उगाही का कांड
परमबीर सिंह के इस चिट्ठी बम के बाद महाराष्ट्र बल्कि देश की सियासत में हलचल मच गई। बता दें कि हरियाणा में गृह मंत्री अनिल विज और मौजूदा डीजीपी मनोज यादव के बीच विवाद की बातें भी पिछले दिनों सामने आई थीं। सचिन वाजे मुंबई पुलिस का अधिकारी है, जिसकी मुकेश अंबानी और हिरेन मनसुख मामले में पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके बाद परमबीर सिंह को डीजीपी पद से हटा दिया गया था।
अनिल विज ने कहा कि 100 करोड़ रुपये हर महीने वसूली का काम बिना मुख्यमंत्री की मर्जी के नहीं हो सकता और मुख्यमंत्री को अगर इस बात की जानकारी नहीं है, तो यह और भी खतरनाक बात है। विज ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश का मुखिया होता है और अपनी सरकार के सभी मंत्रियों व एमएलए की प्रत्येक गतिविधि पर उनकी नजर होती है। अगर मुख्यमंत्री को यह पता ही नहीं कि उनकी पीठ पीछे उनके मंत्री किस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं तो ऐसे मुख्यमंत्री को कोई हक नहीं है कि वह अपने पद पर बना रहे।