हरियाणा सरकार का बड़़ा कदम, भूमि हस्तांतरण का फैसला मंत्रियों के हवाले, अफसरों से छीनी पावर
हरियाणा सरकार ने विभागों के बीच भूमि ट्रांसफर को लेकर बड़ा फैसला किया है। यह शक्ति अधिकारियों से छीन ली गई है। अब मंत्रियों के पास यह अधिकार होगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला किया है। राज्य में सरकारी विभागों के बीच अब भूमि हस्तांतरण का फैसला अब अधिकारी नहीं करेेंगे। यह पावर अब मंत्रियों को दे दिया गया है। हरियाणा सरकार ने इस काम का जिम्मा हरियाणा कैबिनेट की सब कमेटी को सौंप दिया है। बिजली मंत्री रणजीत चौटाला कैबिनेट सब कमेटी के चेयरमैन हैैं। इसमें परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और पुरातत्व एवं संग्रहालय राज्य मंत्री अनूप धानक सदस्य हैं।
हरियाणा कैबिनेट की बैठक में अफसर के तर्क को मंत्री विज ने किया खारिज
कैबिनेट ने तय किया है कि सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सरकारी भूमि के अंतर विभागीय हस्तांतरण का बेहतरीन तरीका क्या हो सकता है, यह अध्ययन भी कैबिनेट सब कमेटी करेगी। जमीन ट्रांसफर के लिए अब सभी विभागों को इसी कमेटी के सामने केस बनाकर भेजने होंगे। कमेटी जरूरत के हिसाब से फैसला करेगी। अंतर विभागीय भूमि ट्रांसफर की दरों का फैसला भी कैबिनेट सब कमेटी पर रहेगा। कमेटी में राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह बतौर सदस्य सचिव शामिल रहेंगे।
अंतर विभागीय भूमि ट्रांसफर की दरों का फैसला भी अब कैबिनेट सब कमेटी के सुपुर्द किया गया
नई दिल्ली में 31 जनवरी को हुई हरियाणा कैबिनेट की बैठक में सब कमेटी को भूमि हस्तांतरण संबंधी मामले सुपुर्द किए गए हैैं। बताया जाता है कि इसकी बड़ी वजह यह रही कि मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने सरकार को गुमराह करने की कोशिश की। सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री ने इस अफसर की खुले आम खिंचाई की, लेकिन बैठक में शामिल कोई मंत्री कुछ नहीं बोला। सरकार ने अंतर विभागीय भूमि हस्तांतरण के लिए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बना रखी है।
इस कमेटी में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के अलावा संबंधित विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रधान सचिव सदस्य हैं। अनिल विज ने इसे नियमों के विरुद्ध करार दिया और कहा कि नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। सूत्रों के अनुसार सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने जब अफसरों की कमेटी के गठन को सही ठहराने की कोशिश की तो विज भड़क गए।
अनिल विज ने कहा कि जब कानून में इस तरह का प्रावधान ही नहीं है तो फिर अधिकारियों की कमेटी का क्या औचित्य है। ïवी उमाशंकर पहले विज के नेतृत्व वाले शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव भी थे, जिन्हें विज के विरोध के चलते इस विभाग से अलग कर दिया गया था।
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