शिवालिक की पहाड़ियों में सहेजेंगे पानी, हरियाणा सरकार निचले हिस्सों में बनवाएगी 12 छोटे बांध
हरियाणा सरकार शिवालिक पहाड़ियों के निचले हिस्सों में 12 छोटे डैम बनवाएगी। निचले हिस्से में बारिश का पानी रोकने के लिए 550 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार हैैै। 30 हजार 500 एकड़ फीट एरिया में पानी का भंडारण होगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। गिरते भू-जल स्तर से जूझ रहे हरियाणा में अब प्रदेश सरकार बरसाती पानी के संरक्षण पर फोकस कर रही है। इसके तहत शिवालिक की पहाड़ियों के निचले हिस्से में 12 छोटे डैम बनाए जाएंगे। इनमें न केवल बरसाती, बल्कि पहाड़ों से आने वाले समस्त पानी को रोका जा सकेगा। विकास एवं पंचायत, सिंचाई और वन एवं पर्यावरण विभाग योजना को सिरे चढ़ाने की तैयारी में लगे हैं।
अंबाला, पंचकूला व यमुनानगर जिले का कुछ हिस्सा शिवालिक की पहाड़ियों में आता है। कैचमेंट एरिया में बनने वाले इन डैम के लिए 550 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इन बांधों की कुल भंडारण क्षमता लगभग 30 हजार 500 एकड़ फीट होगी। पिंजौर, कालका, मोरनी, छछरौली, बिलासपुर, कलेसर, सढ़ौरा व नारायणगढ़ क्षेत्र में यह बांध बनाए जाएंगे। सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा पूरी रिपोर्ट बनाने के बाद सीएम को सौंपी जाएगी।
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उल्लेखनीय है कि बरसाती पानी के संरक्षण को लेकर गंभीर मुख्यमंत्री मनोहर लाल रेणुका, किशाऊ व लखवार डैम को लेकर भी लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं। केंद्रीय सिंचाई मंत्री के साथ उनकी बैठकें हो चुकी हैं। रेणुका व किशाऊ डैम के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर हो चुके। अब लखवार डैम के लिए केंद्र के साथ ही उत्तराखंड व अन्य राज्यों से बातचीत जारी है। हरियाणा अपने हिस्से का कुछ पैसा भी डैम के लिए जमा करवा चुका है।
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हथनीकुंड बैराज की अपर स्ट्रीम में बनेगा एक और बांध
हरियाणा सरकार ने हथनीकुंड बैराज की अपरस्ट्रीम में एक और बड़ा डैम बनाने का फैसला लिया है। सिंचाई सहित संबंधित महकमों के अधिकारियों को इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने को कहा है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड सरकार से भी बातचीत होगी, ताकि पहाड़ों की तलहटी में यह बड़ा डैम बन सके। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनने के बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। सरकार इस कोशिश में है कि इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार से भी आॢथक मदद मिल सके। परियोजना को नाबार्ड के जरिये पूरा किया जाएगा।
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सरस्वती नदी में पानी से सुधरेगा भू-जल स्तर
सरस्वती नदी में पानी छोडऩे के लिए सरस्वती नदी के पुनरोद्धार तथा धरोहर विकास परियोजना तैयार की गई है। इसके पहले चरण में 388 करोड़ रुपये खर्च होंगे। केंद्रीय भूजल बोर्ड, चंडीगढ़ के माध्यम से यह परियोजना तैयार की गई है। वर्ष 2024 तक परियोजना के पूरा होने के बाद भूजल स्तर में सुधार होगा। वहीं, पहाड़ों में कम बारिश व बर्फ नहीं पिघलने से भाखड़ा जलाशय व यमुना नदी में लगातार पानी कम हो रहा है। यमुना में करीब 1000 क्यूसिक पानी कम हो गया है। प्रदेश को रोजाना 7860 क्यूसिक पानी मिलना चाहिए लेकिन पानी की कमी के चलते अब 6117 क्यूसिक ही पानी मिल रहा है।