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हरियाणा सरकार ने अतिथि अध्यापकों काे दिया झटका, महंगाई भत्ता बढ़ाने से किया इन्कार

हरियाणा सरकार ने राज्‍य के अतिथि अध्‍यापकों को झटका दिया है। राज्‍य सरकार ने अतिथि अध्‍यापकों को महंगाई भत्‍ता देने से इन्‍कार कर दिया है। अतिथि अध्‍यापकों ने राज्‍य के अन्‍य कर्मचारियों की तरह से महंगाई भत्‍ते की मांग की थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:23 PM (IST)
हरियाणा सरकार ने अतिथि अध्यापकों काे दिया झटका, महंगाई भत्ता बढ़ाने से किया इन्कार
हरियाणा में अतिथि अध्‍यापकों को महंगाई भत्‍ता देने से सरकार ने इन्‍कार किया है।

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में नियमित अध्यापकों की तर्ज पर 12 फीसद महंगाई भत्ता (डीए) मांग रहे अतिथि अध्यापकों को शिक्षा विभाग ने झटका दिया है। नियमित शिक्षकों के बराबर डीए देने से इन्कार करते हुए मौलिक शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने साफ कर दिया है कि वित्त विभाग ने हर छह महीने बाद तीन फीसद डीए बढ़ाने की ही मंजूरी दी है।

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नियमित अध्यापकों की तर्ज पर 12 फीसद डीए मांग रहे अतिथि अध्यापकों को झटका

प्रदेश में करीब 13 हजार से अधिक अतिथि अध्यापक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। मनोहर सरकार ने अपनी पहली पारी में विधानसभा में बिल लाकर इन अतिथि अध्यापकों को 58 साल तक नौकरी से नहीं निकालने का इंतजाम कर दिया था। समान काम के बदले समान वेतन देने की व्यवस्था भी की गई। इसके अलावा पहली जनवरी 2019 से हर छमाही में तीन फीसद डीए बढ़ाने का नियम लागू कर दिया गया।

पहली जनवरी 2019 से हर छमाही में अतिथि अध्यापकों का बढ़ाया जाता तीन फीसद डीए

अतिथि अध्यापकों का तर्क था कि जब नियमित शिक्षकों को दोगुना डीए दिया जाता है तो उन्हें क्यों नहीं। मामला हाई कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन वहां भी एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि शिक्षा विभाग अपने स्तर पर डीए में इजाफा नहीं कर सकता है। इसके साथ ही अतिथि अध्यापकों की याचिका खारिज हो गई।

खेल कोटे से भर्ती 1518 ग्रुप डी कर्मचारियों की सीएम पर टिकी आस

खेल कोटे से ग्रुप-डी में भर्ती हुए 1518 कर्मचारियों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल से फरियाद लगाई है। मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि नई खेल नीति को नई भर्तियों में लागू किया जाए। पुरानी भर्ती में नए नियम लागू करना भला कहां का न्याय है। पिछली खेल नीति के द्वारा प्राप्त उपलब्धियों को यकायक खत्म कर हजारों युवाओं का भविष्य अंधकारमय करने की बजाय प्रदेश सरकार उनके लिए कोई हल निकाले।


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