हरियाणा ने की केंद्रीय करों में हिस्सा बढ़ाने की मांग, एक फीसद की हिस्सेदारी नाकाफी बताया
हरियाणा सरकार ने राजस्व घाटे से निपटने के लिए केंद्र के पाले में गेंद डाल दी है। सरकार ने कहा कि 14वें वित्त आयोग द्वारा मंजूर राशि में से उसे ढाई हजार करोड़ रुपये कम मिले हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व घाटे से जूझ रही प्रदेश सरकार ने वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए केंद्र से मदद मांगी है। साथ ही केंद्रीय करों में हिस्सा बढ़ाने की मांग करते हुए वर्तमान में मिल रही करीब एक फीसद की हिस्सेदारी को नाकाफी बताया। 14वें वित्त आयोग द्वारा मंजूर राशि में से भी करीब ढाई हजार करोड़ रुपये हरियाणा को कम मिले हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 15वें वित्त आयोग की टीम के समक्ष यह मुद्दा उठाया। हरियाणा वर्ष 2005-06 से 2007-08 तक ऐतिहासिक रूप से राजस्व घाटे में रहा। राज्य की प्रतिबद्ध देनदारियों (सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों, उदय योजना और श्रमिकों की मजदूरी के कार्यान्वयन) में वृद्धि के कारण राजस्व घाटा अगले वर्षों में भी खत्म नहीं होने वाला। इसलिए आयोग राजस्व घाटे से निपटने के लिए केंद्र से उचित अनुदान दिलाए। तभी पूंजीगत व्यय में और अधिक इजाफा हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने आयोग से 14वें वित्त आयोग द्वारा मंजूर पूरा पैसा जारी नहीं होने की भी शिकायत की। पिछले तीन साल में राज्य को 21 हजार 897 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन मिले सिर्फ 19 हजार 391 करोड़। इससे कई प्रोजेक्ट लटके हुए हैं। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत बताई।
केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत सृजित बुनियादी ढांचे के रखरखाव और कर्मचारियों की नियुक्ति पर व्यय से राज्य के वित्त पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। हरियाणा को 2014-15 में केंद्र से सीएसएस के तहत 3,309 करोड़ रुपये मिले जो 2017-18 में घट कर 2,511 करोड़ रुपये रह गए। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विभाजन अनुपात का फैसला इन पहलुओं पर विचार करते हुए किया जाए।
सीएम ने कहा कि हरियाणा में पूंजीगत निवेश बढ़ा है। इसलिए राज्य को अधिक संसाधन दिए जाएं। देश के सकल घरेलू उत्पाद में हरियाणा के उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए केंद्रीय करों का बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए। हरियाणा का राष्ट्रीय जीडीपी में 3.7 फीसद का हिस्सा है, जबकि यहां देश की 2.9 फीसद आबादी और भौगोलिक क्षेत्र का 1.34 फीसद हिस्सा है। ऐसे में 14वें वित्त आयोग द्वारा आवंटित करों के विभाजित पूल में केवल 1.084 फीसद हिस्सा उचित नहीं है।
प्रदेश सरकार ने वित्त आयोग को सार्वजनिक खर्च की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पांच व्यापक संकेतकों के आधार पर एक इक्विटी और दक्षता आधारित ग्रेनुलर नेशनल फ्रेम वर्क का सुझाव दिया। इसमें विकास, राजकोषीय दक्षता एवं अनुशासन, आबादी, क्षेत्र और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान शामिल हैं। साथ ही 14 हजार तालाबों के कायाकल्प के लिए गठित तालाब प्रबंधन प्राधिकरण के लिए धन की विशेष व्यवस्था करने का आग्रह किया।
डीबीटी से बचाए 671 करोड़
केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) से हरियाणा ने 671 करोड़ रुपये बचाए हैं। सीएम ने कहा कि केंद्र को इस राशि का एक हिस्सा राज्य सरकार को प्रोत्साहन के रूप में देना चाहिए। 15 अगस्त तक 380 सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन किया जाएगा जिसके लिए आर्थिक मदद की जरूरत है।
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