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हरियाणा कांग्रेस में घमासान, चल रहा कुर्सी बचाने और गिराने का खेल

हरियाणा कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। सुशील कुमार शिंदे की रिपोर्ट के बाद इस लड़ाई के कम होने के बजाय बढ़ने के आसार अधिक बन रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 11:55 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 12:14 PM (IST)
हरियाणा कांग्रेस में घमासान, चल रहा कुर्सी बचाने और गिराने का खेल

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। प्रदेश के कांग्रेस दिग्गजों में अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई तेज होती जा रही है। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील शिंदे की रिपोर्ट के बाद इस लड़ाई के कम होने के बजाय बढ़ने के आसार अधिक हैं। हुड्डा गुट जहां प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपनी पसंद के नेता को काबिज कराने की लॉबिंग में जुटा है, वहीं किरण-कैप्टन और तंवर खेमा कुर्सी को बरकरार रखने की कवायद में उलझ गया है। तंवर खेमे के भी कुछ नेताओं की निगाह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर टिकी हुई है।

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दिल्ली में हुड्डा व तंवर खेमों के बीच हुई मारपीट मामले में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील शिंदे पिछले सप्ताह दोनों गुटों से बातचीत के बाद रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं। शिंदे जांच के बाद वापस मुंबई चले गए थे और 26 अक्टूबर को उनके दिल्ली लौटने की उम्मीद है। शिंदे इस रिपोर्ट पर पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मौखिक चर्चा करेंगे। उसके बाद लिखित रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी जाएगी, जिसके आधार पर हरियाणा के कांग्रेसियों के लिए नई गाइडलाइंस तैयार हो सकती हैं।

इससे पहले कि कांग्रेस हाईकमान का फैसला आए, हुड्डा और तंवर खेमों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। हुड्डा गुट ने पार्टी नेतृत्व को संकेत दिया है कि हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर उनके साथ मिलकर नहीं चल रहे हैं, जिस कारण संदेश अच्छा नहीं जा रहा। चूंकि हुड्डा समर्थक विधायकों की संख्या अधिक है, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता के पदों पर हुड्डा की पसंद को तरजीह दी जानी चाहिए। हुड्डा धड़े की ओर से पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को महिला व दलित नेता के रूप में मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।

किरण चौधरी और अशोक तंवर खेमे ने भी पार्टी हाईकमान के समक्ष कई ऐसे प्रमाण पेश किए गए, जिनमें साबित हो रहा कि हुड्डा समर्थक विधायक बुलावे के बावजूद पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते। इसे पार्टी को राजनीतिक रूप से नुकसान के रूप में पेश किया जा है। कांग्रेस हाईकमान से आग्रह किया गया है कि इन विधायकों को पार्टी कार्यक्रमों में अनिवार्य रूप से शामिल होने के स्पष्ट आदेश जारी किए जाने चाहिए। हाईकमान ने तंवर और किरण चौधरी गुट द्वारा उजागर की गई इन खामियों को गंभीरता से लिया है।

कुलदीप और कैप्टन भी बना रहे माहौल

हुड्डा से राजनीतिक खार रखने वाले कुलदीप बिश्नोई भी दोनों गुटों के बीच चल रही तनातनी का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में हैं। उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं से लगातार बैठकें हो रही हैं। हुड्डा समर्थक कुछ विधायक कुलदीप के संपर्क में हैं, जबकि तंवर व किरण से भी उनके संपर्क बने हुए हैं। अहीरवाल के कांग्रेस नेता कैप्टन अजय यादव पार्टी नेताओं की इस लड़ाई में खुद को सबसे सीनियर के रूप में पेश करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। उनके समर्थक भी बदलाव के हक में हैं।

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सुरजेवाला और सैलजा पर दांव संभव

हरियाणा की राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा पार्टी नेतृत्व के सबसे अधिक नजदीकी और विश्वासपात्रों में गिने जाते हैं। इन दोनों नेताओं से हरियाणा के बारे में निरंतर फीडबैक हासिल किया जा रहा है। शिंदे की रिपोर्ट के बाद अगर हाईकमान को विवाद कम होता नजर नहीं आया तो पार्टी नेतृत्व सुरजेवाला और सैलजा पर दांव खेल सकता है।

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