Budget 2022 Analysis: केंद्रीय बजट में हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की भी झलक
Union Budget 2022 Analysis कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को यदि मनोहर और दुष्यंत की योजनाओं के बिंब से प्रेरित या प्रभावित या समावेशी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। केंद्र की मोदी सरकार के वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की करीब आधा दर्जन उन योजनाओं की झलक साफ दिखाई पड़ रही है, जो मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला मिलकर पिछले सवा दो साल से संचालित कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती, फल और सब्जी उत्पादक किसानों के लिए विशेष प्रोत्साहन, सरकारी योजनाओं को गतिशील बनाने में ड्रोन का अधिकाधिक इस्तेमाल, एक प्लेटफार्म पर पूरे प्रदेश का डाटा संग्रह और आइटी सेक्टर को विशेष बढ़ावा देने के साथ ही एमएसएमई को गति देने की जो बड़ी योजनाएं केंद्र सरकार के बजट में नजर आई हैं, उन सभी पर हरियाणा सरकार काफी पहले से काम कर रही है।
दिल्ली से सटा हरियाणा वैसे भी केंद्रीय योजनाओं का लांचिंग पैड रहा है। केंद्र सरकार की करीब एक दर्जन ऐसी योजनाएं हैं, जिनकी शुरुआत हरियाणा की धरती पर हुई और हरियाणा की आधा दर्जन योजनाएं ऐसी हैं, जिन्हें किसी न किसी रूप में केंद्र सरकार ने पूरे देश के लिए व्यापक परिक्षेत्र में अपनाया है। ऐसे में यदि केंद्रीय बजट में हरियाणा की योजनाओं की झलक दिखाई पड़ रही है तो यह अनुभव यानी मनोहर लाल और जोश एवं तकनीक यानी दुष्यंत चौटाला के बीच जुगलबंदी का नतीजा है, जिस पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है।
प्राकृतिक खेती : सबसे पहले प्राकृतिक खेती की बात करते हैं। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राचार्य रहते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू किया था। अपने गुरुकुल में वह गाय के मूत्र और गोबर से खुद ही प्राकृतिक खाद बनाते हैं। इस पर बहुत अधिक खर्च नहीं आता। आचार्य देवव्रत जब हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे तो उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने के मिशन में कतई ढील नहीं दी। गुजरात में रहते हुए आचार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाकर नेशनल सेमिनार कराने में भी कामयाब रहे। हरियाणा में मनोहर सरकार अपने सभी मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की गुरुकुल कुरुक्षेत्र में कार्यशाला करा चुकी है। यूं कह सकते हैं कि प्राकृतिक खेती का जो बीज हरियाणा की धरती से प्रस्फुटित हुआ, अब वह पौधा बनने को तैयार है। इसका फायदा यह होगा कि पूरे देश में अप्राकृतिक मौतों और बीमारियों में काफी हद तक कमी आएगी।
तकनीक : हरियाणा में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ड्रोन की तकनीक का बखूबी इस्तेमाल अपने विभागों में कराया है। डिजिटल लैंड सर्वे और लाल डोरा मुक्त गांव ड्रोन तकनीक के जरिये ही संभव हो पाए हैं। ड्रोन के जरिये कृषि पर सरकार का पहले से फोकस है। ड्रोन के जरिये ही प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल पर सरकार अब फोकस करने जा रही है और और खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए ड्रोन से ही उन पर निगाह रखने की योजना है। दुष्यंत चौटाला तो यहां तक चाहते हैं कि हरियाणा में ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए पांच ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र खुलें। इसमें से दो प्रशिक्षण केंद्र मंजूर भी हो चुके हैं, जिन पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरी तरह से सहमत हैं।
डाटा संग्रह हरियाणा सरकार का बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में परिवार पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया आरंभ की थी। अब तक करीब 65 लाख परिवारों का डाटा संग्रह परिवार पहचान पत्रों के जरिये किया जा चुका है। करीब पांच दर्जन सरकारी योजनाओं के लाभ को इस डाटा यानी परिवार पहचान पत्र से जोड़ दिया गया है। उदाहरण के लिए प्रदेश में यदि कोई बुजुर्ग 60 साल का हो जाएगा और परिवार पहचान पत्र में उसका नाम है तो बिना किसी दस्तावेज के उचित समय पर उसकी पेंशन की व्यवस्था स्वयं शुरू हो जाएगी। इसके अलावा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में आइटी और डाटा तकनीक का शानदार इस्तेमाल प्रदेश सरकार कर रही है। कर्मचारी चयन आयोग ने सरकारी भर्तियों के लिए संयुक्त पात्रता परीक्षा लागू की है। इसमें प्रविधान है कि आयोग की साइट पर एक बार पंजीकरण कराने के बाद अभ्यर्थी जब भी किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करेगा तो विशेष कोड के जरिये उसका समस्त डाटा कंप्यूटर स्वयं ही उठा लेगा। यानी उन्हें अपना फार्म अलग से भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार पहले से संजीदा है। हरियाणा में कलस्टर बनाकर इन छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें पंचायतों में जमीन लीज पर दी जाएगी, ताकि महंगी जमीन खरीदने की समस्या से निजात मिल सके। साथ ही नए उद्योगों को सस्ती जमीन हासिल हो सके। वन ब्लाक-वन प्रोडक्ट की योजना पर भी हरियाणा में खूब काम किया गया है। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्य में क्लस्टर के हिसाब से ऐसे प्रोडेक्ट को अब देश-विदेश में पहचान मिलेगी, जिनकी अपने क्षेत्र में ही पहचान सीमित है। उदाहरण के लिए यदि करनाल के चावल और रोहतक की गजक मशहूर है तो उसे एमएसएमई का हिस्सा बनाकर न केवल प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि देश और विदेश के बाकी हिस्सों में भी उसके प्रेषण की व्यवस्था की जा सकेगी, ताकि हरियाणा का ब्रांड और उत्पाद दोनों प्रोत्साहित हो सकें।
[स्टेट ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]