Move to Jagran APP

आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती माडल को देखने हरियाणा आएगा गुजरात मंत्रिमंडल, सीएम भी होंगे साथ

गुजरात में भी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) शुरू होगी। हरियाणा में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा की जा रही प्राकृतिक खेती के अध्ययन के लिए गुजरात के सीएम भूपेंद्र भाई पटेल अपने मंत्रिमंडल सहित हरियाणा आएंगे ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 04:44 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 04:44 PM (IST)
आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती माडल को देखने हरियाणा आएगा गुजरात मंत्रिमंडल, सीएम भी होंगे साथ
हरियाणा के राज्यपाल आचार्य वेदव्रत की फाइल फोटो।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। कुरुक्षेत्र गुरुकुल में आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती माडल का अवलोकन करने के लिए गुजरात का पूरा मंत्रिमंडल अगले साल फरवरी में हरियाणा का दौरा करेगा। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल समेत मंत्रिमंडल के सदस्यों को लेकर कुरुक्षेत्र पहुंचेंगे। प्राकृतिक खेती के इस माडल को गुजरात सरकार अपने यहां लागू करने पर विचार कर रही है। रासायनिक खाद रहित इस खेती माडल को हिमाचल और हरियाणा में लागू किया गया है। हालांकि सभी किसानों ने अभी तक इस माडल को पूरी तरह से नहीं अपनाया है। हिमाचल में सेब के बाग तथा हरियाणा में गेहूं, धान व गन्ने की खेती में प्राकृतिक खेती माडल का इस्तेमाल किया जा रहा है।

loksabha election banner

आचार्य देवव्रत गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक भी हैं। यहां आचार्य देवव्रत करीब 250 एकड़ के फार्म हाउस में गन्ने, धान और गेहूं समेत विभिन्न सब्जियों व फसलों की प्राकृतिक खेती करते हैं। प्राकृतिक खेती के तहत फसलों में रासायनिक खाद का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। गाय के गोबर, मूत्र, नीम के पत्तों और मिट्टी से तैयार होने वाली खाद फसलों में डाली जाती है। इन सबके मिश्रण को मिलाकर प्राकृतिक खाद तैयार की जाती है। इसका फायदा यह होता है कि लागत कम आने के साथ-साथ न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि बाजार में फसलों की कीमत भी अच्छी मिलती है। गुड़, शक्कर और खांड की बिक्री गुरुकुल कुरुक्षेत्र के सेल काउंटर पर ही होती है।

आचार्य देवव्रत बरसों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। हरियाणा में रहते हुए उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों के समूह बनाए और उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया। रोहतक स्थित सुनारियां जेल में कैदी भी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जेल मंत्री रणजीत चौटाला, कृषि मंत्री जेपी दलाल और मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस विषय पर आचार्य की कई बैठकें हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत उनकी कैबिनेट के तमाम सदस्य गुरुकुल कुरुक्षेत्र का दौरा कर प्राकृतिक खेती के फार्मूले को समझ चुके हैं। जल्द ही पूरे प्रदेश में कृषि विभाग की टीमें किसानों के बीच जाकर उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगी। हरियाणा सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है।

आचार्य देवव्रत जब हिमाचल के राज्यपाल थे, तब उन्होंने वहां भी सेब उत्पादक किसानों व बागवानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा था। करीब दो लाख बागवान हिमाचल में नियमित रूप से प्राकृतिक बागवानी-खेती कर रहे हैं। गुजरात में राज्यपाल का दायित्व संभालने के बावजूद आचार्य देवव्रत हरियाणा व हिमाचल के इन किसानों के संपर्क में हैं। पिछले दिनों प्राकृतिक खेती को लेकर आचार्य देवव्रत की राष्टपति राम नाथ कोविन्द और गृह मंत्री अमित शाह से गांधी नगर (अहमदाबाद) में चर्चा हुई थी। तभी गुजरात मंत्रिमंडल को कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल का दौरा कराकर प्राकृतिक खेती के माडल को समझाने तथा इसे गुजरात में लागू कराने पर सहमति बन गई थी।

आचार्य देवव्रत ने गुजरात मंत्रिमंडल के हरियाणा आने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस बारे में जल्द ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल से बात की जाएगी। गुजरात सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की इच्छुक है। यहां गिर नस्ल की देसी गायों के संरक्षण के लिए सरकार काफी काम कर रही है। दो लाख से अधिक गायों को सरकार ने गोद ले रखा है। उनके चारे का पूरा इंतजाम सरकार की ओर से किया जाता है। इन गायों का गोबर और मूत्र प्राकृतिक खेती के लिए खाद बनाने में काफी लाभकारी साबित हो सकता है। आचार्य देवव्रत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की उन्हें प्रेरणा मिली है। अगले साल फरवरी में गुजरात मंत्रिमंडल के सदस्य हरियाणा का दौरा करेंगे।

मोदी और निर्मला सीतारमण कर चुके आचार्य के प्राकृतिक खेती माडल को प्रोत्साहित

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2019 के बजट में तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती माडल को प्रोत्साहित कर चुके हैं। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर तथा कृषि विज्ञानिक गुरुकुल की प्राकृतिक खेती के फार्मूले को समझने के लिए आ चुके हैं। आचार्य देवव्रत के अनुसार एक देसी गाय का पालन करने से 30 एकड़ कृषि भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है। प्राकृतिक खेती का मतलब रासायनिक खाद मुक्त खेती से है। यह जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती है। फर्टिलाइजर्स व पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करने वाले किसानों के खेतों में आर्गेनिक कार्बन का स्तर 0.3 से 0.4 से अधिक नहीं होता, जबकि प्राकृतिक खेती वाले गुरुकुल में यह स्तर 0.8 से ऊपर है। प्राकृतिक खेती के जरिए किसानों की आमदनी डबल करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार कर पाना संभव है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.