पराली खरीद के लिए निजी एजेंसियों पर डोरे, अधूरे इंतजाम से समस्या
हरियाणा में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उनको इसके लिए मशीनें दी गई हैं। दूसरी अोर सरकार को पराली खरीद के लिए निजी एजेंसियों का सहारा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। किसानों को पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने से रोकने में कृषि विभाग के पसीने छूटने लगे हैं। पराली जलाने के मामलों में केंद्र से 90 फीसद तक की कमी का भरोसा दिलाने वाले हरियाणा ने पराली निस्तारण के लिए किसानों में 14 हजार मशीनें तो बांट दी। दूसरी ओर, निजी एजेंसियों के जरिये पराली खरीद के इंतजाम अभी सिरे नहीं चढ़ पाए हैं।
हरियाणा का पराली जलाने के मामलों में 90 फीसद तक कमी लाने का है वादा
प्रदेश में पिछले साल पराली जलाने के करीब 3000 और वर्तमान में अब तक 100 से अधिक मामले सामने आ चुके। ऐसे में प्रदेश सरकार ने निजी एजेंसियों के जरिये 550 रुपये प्रति क्विंटल पराली खरीदने की योजना बनाई, लेकिन इसे पूरी तरह कारगर नहीं किया जा सका।
550 रुपये क्विंटल पराली खरीदने की थी योजना, किसानों को नहीं मिलते खरीदार
प्रदेश में हर साल 70 लाख टन धान की पराली होती है जिसमें से फिलहाल केवल दस फीसद का ही इस्तेमाल हो रहा है। एक एकड़ में औसतन 25 क्विंटल पराली निकलती है जिसे बेचकर किसान करीब 14 हजार रुपये तक कमा सकते हैं। मगर किसानों को सरकारी स्तर पर यह बताने वाला कोई नहीं कि वह इसे कहां बेचें। ऐसे में किसान पराली को खेत में ही जलाने का जोखिम उठाने से नहीं चूकते।
किसानों की पराली को बिकवाने के लिए हाल ही में भारतीय तेल निगम लिमिटेड (आइओसीएल) से समझौता किया है जो कुरुक्षेत्र में पहला कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र लगाएगा। उम्मीद है कि इससे निजी क्षेत्र में 1000 टन प्रतिदिन की कुल क्षमता के 200 संयंत्र स्थापित होंगे। कंप्रेस्ड बायोगैस का उपयोग हरित मोटर वाहन ईंधन के रूप में किया जा सकता है। बायोगैस संयंत्रों से जैव खाद उत्पन्न होगी जो खेती में काम आएगी।
इसी तरह, आइओसीएल पानीपत में 900 करोड़ रुपये से अधिक के इथानोल संयंत्र लगाएगा जिसमें काफी मात्रा में पराली की खपत हो सकेगी। परियोजना स्थल की 50 किलोमीटर की परिधि के किसानों से इस संयंत्र के लिए पराली खरीदी जाएगी। इसके अलावा 80 मेगावाट क्षमता के बिजली प्रोजेक्ट लगाए जा चुके है।
करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल, जींद और फतेहाबाद में इन परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू होगा जिसमें साढ़े पांच लाख टन पराली की खपत हो सकेगी। दूसरे चरण में इसे 11 लाख टन तक ले जाने का लक्ष्य है।
निजी हाथों को भी 500 किलोवाट से पांच मेगावाट की क्षमता वाले ऐसे प्लांट लगाने का ऑफर किया गया है। इसके अलावा जैविक खाद, इथेनॉल, कार्ड बोर्ड और फसल अवशेष आधारित कारखाने स्थापित करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।
पराली निस्तारण में पड़ोसियों से बेहतर हरियाणा : धनखड़
कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने दावा किया कि पराली जलाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धुएं की समस्या का हल निकालने के लिए दिल्ली-उत्तर प्रदेश व पंजाब की तुलना में हरियाणा ने सबसे बेहतर काम किया है। उन्होंने कहा कि पराली को विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में इस्तेमाल से न केवल किसान फसल अवशेष बेचकर अपनी कमाई बढ़ा सकेंगे, बल्कि ग्रामीण रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।