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Karnal Kisan Protest Case: करनाल में किसानों पर पुलिस कार्रवाई के मामले में सरकार ने हाई कोर्ट में SDM का किया बचाव

Karnal Kisan Protest Case करनाल में किसानों पर हुई पुलिस कार्रवाई के मामले में करनाल रेंज की आइजी ममता सिंह ने हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर दी है। रिपोर्ट में पुलिस ने एसडीएम का बचाव किया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:42 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:27 AM (IST)
Karnal Kisan Protest Case: करनाल में किसानों पर पुलिस कार्रवाई के मामले में सरकार ने हाई कोर्ट में SDM का किया बचाव
करनाल में किसानों पर पुलिस कार्रवाई की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। 28 अगस्त को करनाल में किसानों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका पर हरियाणा सरकार ने अपना जवाब दायर कर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट को बताया कि विरोध करने के अधिकार के तहत किसी को भी सड़कों को बंद कर आम लोगों को परेशान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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सरकार की ओर से करनाल रेंज की आइजी ममता सिंह ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दायर कर कहा है कि यह आरोप कि एसडीएम के इशारे पर ही पुलिस ने बल प्रयोग किया था पूरी तरह से गलत है, क्योंकि एसडीएम आयुष सिन्हा घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर थे और जिन पुलिस कर्मियों वह निर्देश दे रहे थे उनमें से कोई भी घटनास्थल पर नहीं था। दूसरा यह कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन का आश्वासन दिए जाने के बाद भी लगातार प्रदर्शनकारी कानून व्यवस्था को हाथ में लेते रहे हैं। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था।

याचिकाकर्ता ने खुद पहले पुलिस पर कस्सी से वार किया था और जब वह इस दौरान गिर गया तो गिरने से उसके सिर पर चोट लग गई। जिस पुलिस कर्मी पर उसने कस्सी से वार किया था उसी पुलिस कर्मी ने उसे वहीं पर प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी थी। ऐसे में यह कहना कि पुलिस की लाठी से उसके सिर पर चोट लगी गलत है। इस घटना में कई पुलिस कर्मी भी जख्मी हुए थे।

अपने हलफनामे में आइजी ने विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत भी यह कह चुकी है कि विरोध प्रदर्शन प्रत्येक का अधिकार है, लेकिन यह भी साफ किया जा चुका है कि इस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए। सड़कें नहीं रोकी जानी चाहिए। इसके बावजूद पिछले कई महीनों से सड़कें रोकी हुई हैं। यह सीधे तौर पर सर्वोच्च अदालत के आदेशों का ही उल्लंघन है। यह भी नहीं देखा जा रहा कि इनके द्वारा बंद की गई सड़कों पर कितने लोग अपने परिवारों के साथ फंस गए थे और उन्हें कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा है। यह जवाब शुक्रवार को हाई कोर्ट में दायर कर दिया गया है जिस पर हाई कोर्ट अब 24 सितंबर को सुनवाई करेगा इस मामले में दायर याचिका में इस घटना की हाई कोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच करवाने की मांग की गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस कार्रवाई से कई किसानों को चोटें आई हैं। याचिका में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों और एसडीएम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और विभागीय कार्रवाई के आदेश देने का आग्रह किया गया है। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा एक वीडियो में पुलिस को प्रदर्शनकारियों का सिर फोड़ने का निर्देश दे रहे थे। याचिका में नागरिक और पुलिस प्रशासन करनाल के अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने की मांग की गई है। याचिका के साथ एसडीएम की एक वीडियो क्लिप भी संलग्न की गई थी।

याचिका करनाल जिले के मुनीश लाठर और अन्यों द्वारा दायर की गई है, जो 28 अगस्त की घटना में घायल हो गए थे। उन्होंने सभी घायल पीडि़तों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने की भी मांग की है। याचिका में एसडीएम आयुष सिन्हा, डीएसपी वीरेंद्र सैनी और इंस्पेक्टर हरजिंदर सिंह के साथ-साथ अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), डीजीपी हरियाणा, एसपी करनाल, डीएसपी वीरेंद्र सैनी, एसडीएम आयुष सिन्हा और करनाल के निरीक्षक हरजिंदर सिंह को प्रतिवादी बनाया गया है।


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