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सूचना न देने पर 22 जिलों के ADC समेत गो सेवा आयोग, शहरी निकाय के अधिकारी तलब

लावारिस पशुओं व गोवंश के बारे में सूचना न देना राज्य के सभी एडीसी समेत गो सेवा आयोग शहरी निकाय पंचायती राज व पुलिस निदेशालय को महंगा पड़ गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 07:33 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 01:59 PM (IST)
सूचना न देने पर 22 जिलों के ADC समेत गो सेवा आयोग, शहरी निकाय के अधिकारी तलब
सूचना न देने पर 22 जिलों के ADC समेत गो सेवा आयोग, शहरी निकाय के अधिकारी तलब

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। लावारिस पशुओं व गोवंश के बारे में सूचना न देना राज्य के सभी एडीसी समेत गो सेवा आयोग, शहरी निकाय, पंचायती राज व पुलिस निदेशालय को महंगा पड़ गया। राज्य सूचना आयोग ने सोमवार को राज्य के सभी जिलों के एडीसी को पेश होने का आदेश दिया है।

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मामले में समालखा के आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर ने हरियाणा में गाय, बैल, सांड, आदि लावारिश पशुओं के कारण हो रही दुर्घटना के चलते हरियाणा गो सेवा आयोग से 11 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। इस सूचना को तमाम जिलों के अतिरिक्त उपायुक्तों, शहरी स्थानीय निकाय, पुलिस मुख्यालय, पंचायती राज निदेशालय, गो सेवा आयोग व पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने देना था। पशुपालन विभाग के अलावा किसी ने सूचना नहीं दी।

आरटीआइ के जवाब में अभी तक प्राप्त सूचना से खुलासा हुआ है कि पिछले पांच वर्षों से हरियाणा में गो सेवा आयोग का बजट 45 लाख से बढ़कर 30 करोड़ हुआ। फिर भी सरकार प्रदेश को लावारिस पशुओं के खतरे से मुक्त नहीं करा सकी, जबकि हरियाणा सरकार ने पहले गत वर्ष 15 अगस्त 2018 तक व फिर 1 जनवरी 2019 तक पूरे प्रदेश को लावारिस पशुओं से मुक्त करने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन यह अभियान दोनों बार विफल रहा। अकेले सिरसा की गोशालाओं में 10,722 गोवंश की मौत हो गई। बावजूद इसके सरकार व गोसेवा आयोग सोए रहे। जानकारी न देने पर पिछली सुनवाई पर आयोग ने शहरी निकाय, पंचायती राज व पुलिस निदेशालय पर 15 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया था।

स्ट्रे कैटल फ्री कमेटियां निष्क्रिय हुईं

हरियाणा गो सेवा आयोग की 23 मई 2018 को संपन्न 13वीं मीटिंग में प्रदेश को आवारा पशु मुक्त कराने का फैसला हुआ था। इसी के अंतर्गत हरियाणा सरकार ने प्रत्येक जिले के एडीसी की चेयरमैनशिप में आवारा पशु मुक्त अभियान के लिए उच्च स्तरीय कमेटियां गठित की थीं। इसमें प्रत्येक कमेटी में अतिरिक्त जिला उपायुक्त, एसडीएम, डीएसपी, नगर निगम, परिषद, नगरपालिका के उच्च अधिकारी, जिला राजस्व अधिकारी, उपनिदेशक पशुपालन विभाग व जिला प्रभारी गोसेेवा आयोग को शामिल किया गया था। लेकिन अधिकांश जिलों में ये कमेटियां निष्क्रिय रहीं।

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