हरियाणा में खेल नर्सरियों के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल
हरियाणा में खेल नसरियों के नाम पर बड़ा 'खेल' चल रहा था। इसके बाद खेल मंत्री अनिल विज ने इनके भुगतान पर रोक लगा दी है और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में खेल नर्सरियों के नाम पर लंबे समय से चलते आ रहे बड़े 'खेल' का भंडाफोड़ हुआ है। इसक बाद प्रदेश सरकार ने खेल नर्सरियों का अनुदान रोकते हुए सभी तरह के बिलों की अदायगी पर रोक लगा दी है। कई स्थानों पर तो ये नर्सरियां सिर्फ कागजों में चल रहीं थी। खेल मंत्री अनिल विज ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के कार्यकाल के दौरान गांव स्तर पर खिलाड़ी तैयार करने के लिए खेल नर्सरियां बनाई गईं थी। खिलाडिय़ों की नई पौध को तैयार करने के लिए बाकायदा कोच सहित अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई। इन खेल नर्सरियों का नियंत्रण जिला स्तर पर जिला खेल अधिकारी और ग्रामीण स्तर पर विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हवाले किया गया है।
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सूत्रों के अनुसार इन नर्सरियों में खिलाडिय़ों को तैयार करने के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा था। इन खेल नर्सरियों को खिलाडिय़ों की संख्या के आधार पर सुविधाएं, वित्तीय अनुदान और अन्य बिलों की अदायगी की जाती हैं। यही नियम घोटाले की जड़ बनता रहा है। कई नसरियों में सारा 'खेल' कागजों में चल रहा था।
अधिकतर नर्सरियों में खिलाडिय़ों की वास्तविक संख्या पर सवाल उठते रहे हैं। सरकारी स्तर पर बिलों की अदायगी और अनुदान जारी करने से पहले मुख्यालय द्वारा किसी तरह की जांच भी नहीं की जाती। जिला खेलकूद अधिकारियों को ही इस संबंध में अंतिम अधिकार दिए गए थे।
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प्रदेश सरकार को इनमें अनियमितताओं की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थी। इसके बाद विभाग ने खेल नर्सरियों को दी जाने वाली अनुदान राशि पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। अगले आदेश तक जिलों में चल रही खेल नर्सरियों के बिलों की अदायगी भी नहीं की जाएगी। फिलहाल बिलों की जांच मुख्यालय स्तर पर कराई जा रही है। चंडीगढ़ मुख्यालय से इन्हें सत्यापित किए जाने और दस्तावेजों की जांच के बाद ही खेल नर्सरियों का नियमित संचालन किया जा सकेगा।
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डीसी को दिए अधिकार
खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि अनियमितताओं की शिकायत पर खेल नर्सरियों को अनुदान रोका गया है। अब जिला खेल अधिकारियों के अलावा जिला उपायुक्त बिल सत्यापित करेंगे। इसके बाद मुख्यालय अपने स्तर पर जांच करेगा। इसके बाद ही बिलों की अदायगी एवं अनुदान जारी किया जाएगा। पूर्व में हुई अनियमितताओं की जांच चल रही है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।