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भाजपा के जाट नेताओं की अग्निपरीक्षा, जींद उपचुनाव में मिली बड़ी चुनौती

जींद उपचुनाव में भाजपा के जाट नेताओं की बड़ी परीक्षा होगी। कांग्रेस व जेजेपी द्वारा जाट प्रत्‍याशी उतारने से इन नेताओं के समक्ष अपने गैरजाट प्रत्‍याशी को जिताने चुनौती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 01:43 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 08:56 PM (IST)
भाजपा के जाट नेताओं की अग्निपरीक्षा, जींद उपचुनाव में मिली बड़ी चुनौती
भाजपा के जाट नेताओं की अग्निपरीक्षा, जींद उपचुनाव में मिली बड़ी चुनौती

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। जाटलैैंड जींद में उपचुनाव रोमांचक दौर में पहुंच रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा ने गैर जाट कृष्ण मिड्ढा को चुनावी समर में उतारा है। दूसरी ओर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इनेलो ने जाट उम्मीदवारों पर दांव खेला है। ऐसे में भाजपा के शीर्ष जाट नेताओं के लिए अपनी उम्‍मीदवार को जीत दिलाने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे इस उपचुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इस चुनाव में भाजपा के जाट नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

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जाटलैंड में लगातार रोमांचक दौर में पहुंच रहा उपचुनाव

इनेलो के टिकट पर जींद से दो बार विधायक रह चुके डा. हरिचंद मिड्ढा के निधन की वजह से खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने गैर जाट उम्मीदवार के तौर पर मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा पर दांव खेला है, जबकि कांग्रेस ने कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और जननायक जनता पार्टी ने दिग्विजय सिंह चौटाला को चुनाव मैदान में उतारा है। इनेलो से उम्मेद सिंह रेढू और भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने विनोद आश्री को टिकट दिए हैैं।

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भाजपा के पास कद्दावर जाट नेताओं की कमी नहीं, लेकिन करनी होगी कड़ी मशक्‍कत

चुनाव हालांकि जाट और गैर जाट के बीच फंसा हुआ है, लेकिन प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि तथा मतदाताओं का सत्ता के प्रति रुख भी काम कर सकता है। जींद में एक लाख 70 हजार मतदाता है। इनमें 52 हजार जाट, 15 हजार पंजाबी, 17 हजार ब्राह्मïण, 13 हजार वैश्य, 12 हजार सैनी, 10 हजार वाल्मीकि और साढ़े सात हजार बीसी मतदाता शामिल हैैं। भाजपा को गैर जाट मतों के साथ-साथ जाट मत मिलने की भी पूरी आस है।

कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो के पास भी नामचीन जाट नेताओं की फौज

भाजपा के पास केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के रूप में कद्दावर जाट नेता हैं। इनके अलावा बीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेमलता, महीपाल सिंह ढांडा और सुखविंद्र मांढी भी भाजपा के तीन जाट विधायक हैैं।

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भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की छवि गैरजाट नेता की है, लेकिन वह जातिवादी राजनीति में यकीन नहीं रखते। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती जाट वोट को अपनी तरफ मोडऩा है। उस स्थिति में, जब कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी, जननानयक जनता पार्टी में अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला तथा इनेलो में ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला सरीखे कद्दावर जाट नेता शामिल हैैं।

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