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तो इसलिए साहूकारों के चंगुल में फंसे हैं किसान, कारण जान रह जाएंगे हैरान

हरियाणा के किसान खुद साहूकारों और अाढ़तियों से अलग नहीं हाेना चाहते। यही कारण है कि उन्‍होंने सरकार की खाते में अपनी फसल की कीेमत ट्रांसफर करने की योजना को स्‍वीकार नहीं किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 09:00 PM (IST)
तो इसलिए साहूकारों के चंगुल में फंसे हैं किसान, कारण जान रह जाएंगे हैरान
तो इसलिए साहूकारों के चंगुल में फंसे हैं किसान, कारण जान रह जाएंगे हैरान

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के किसान साहूकारों के चंगुल से खुद ही बाहर नहीं निकलना चाहते। राज्य में एक भी किसान ऐसा नहीं है, जिसने आगे बढ़कर खुद सरकार से कहा हो कि वह अपनी फसल का पैसा खाते में ट्रांसफर कराना चाहता है। आढ़ती भी हालांकि किसानों के खाते में पैसा ट्रांसफर करने की राज्य सरकार की योजना के विरोध में थे, लेकिन जब सरकार ने इस योजना को किसानों की मर्जी पर छोड़ा तो किसी किसान ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। हरियाणा में करीब 16 लाख किसान हैं, जो खेती से जुड़े हैं। इनमें अधिकतर किसान कर्ज में डूबे हैं।

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हरियाणा के मंत्री कर्णदेव कांबोज ने किसानों और आढ़तियों के बीच लेनदेन की सच्‍चाई उजागर की

प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री कर्ण देव कांबोज ने किसानों और आढ़तियों के बरसों से चले आ रहे लेनदेन संबंधी सच्चाई को उजागर किया है। कांबोज का कहना है कि केंद्र सरकार के निर्देश हैैं कि किसानों को उनकी फसल के दाम डायरेक्ट खातों में पहुंचाए जाएं, ताकि वे साहुकारों तथा बिचौलियों के चंगुल से बच सकें। राज्य सरकार ने जब इस योजना को लागू करने की कोशिश की तो कुछ किसानों के साथ-साथ व्यापारियों ने भी इसका खुला विरोध किया।

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आढ़तियों से अलग नहीं होना चाहते किसान, खारिज की खातों में पेमेंट की योजना

प्रदेश के आढ़तियों और व्यापारियों ने सरकार के समक्ष दलील दी कि अपनी फसल के लिए बीज, खाद, ट्यूबवेल तथा घर में शादी-ब्याह के लिए किसान उनसे अक्सर पेशगी (एडवांस) राशि लेते हैैं। फसल जब मंडी में आती है तो आढ़ती और व्यापारी इस राशि को काट लेते हैैं। किसानों ने भी दलील दी कि आढ़ती उनका एटीएम होता है। उन्हें जब जरूरत होती है, वे आढ़तियों से एडवांस राशि उठा लेते हैैं।

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हरियाणा के किसान नहीं चाहते उके खाते में आए पैसा

आढ़तियों व किसानों की इन दलीलों के बाद राज्य सरकार ने योजना के स्वैच्छिक कर दिया था। जिन किसानों को अपने खातों में पेमेंट चाहिए, उन्हें मार्केट कमेटी में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है। राज्य मंत्री कर्ण देव कांबोज के अनुसार बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रदेश के एक भी किसान ने यह नहीं कहा कि उन्हें अपनी फसल का पैसा खाते में चाहिए। लिहाजा राज्य में यह योजना पूरी तरह से खारिज हो गई है।

मिठाई के साथ डिब्बा तौला तो दुकानदारों की खैर नहीं

खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री कर्ण देव कांबोज ने त्यौहार के दिनों में मिठाई विक्रेताओं पर शिकंजा कसने की बात कही है। उन्होंने कहा कि किसी भी दुकानदार को मिठाई के साथ डिब्बा तौलने की इजाजत नहीं है। यदि कोई दुकानदार ऐसा करता है तो उसे विरुद्ध कानून सम्मत कार्रवाई संभव है। उन्होंने दावा किया कि राज्य के तमाम पेट्रोल पंपों पर आज तक कम पेट्रोल या डीजल देने की कोई शिकायत नहीं आई है।

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हरियाणा में दाल रोटी स्कीम बंद, अब दो लीटर तेल मिलेगा

हरियाणा में दाल रोटी स्कीम बंद कर दी गई है। दालों के बढ़े और असमान रेट की वजह से सरकार ने यह निर्णय लिया है। अब प्रति राशनकार्ड ढ़ाई किलो दाल के स्थान पर राज्य सरकार अब दो किलो सरसों का तेल देगी। यह योजना शुरू हो चुकी है। किशोरियों में खून की कमी को दूर करने के उद्देश्य से राज्य सरकार अंबाला व करनाल के बाद पूरे प्रदेश में फोर्टिफाइड (पोषक तत्वों से युक्त) आटे का वितरण करेगी। बराड़ा और नारायणगढ़ में यह प्रोजेक्ट कामयाब हो चुका है।

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