अनिल विज से अलग होते ही हरियाणा सीआइडी में सुधार की कवायद ठंडे बस्ते में, हुआ था सीएम से विवाद
हरियाणा सीआइडी को गृहमंत्री अनिल विज के अधिकार क्षेत्र से अलग करने के बाद इसमें सुधार की कवायद भी ठंडे बस्ते में चली गई है। पिछले दिनों सीआइडी को अनिल विज के अधिकार क्षेत्र से हटा दिया गया था और इसके मुख्यमंत्री के अधीन कर दिया गया था।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सीआइडी (आपराधिक जांच विभाग) की कार्यप्रणाली में सुधार की कवायद ठंडे बस्ते में पर गई है। राज्य के गृहमंत्री अनिल विज से इस विभाग को अलग करने के बाद सीआइडी में सुधार के कदम रुक गए हैं। करीब एक साल पहले विज से इस विभाग को अलग कर इसे मुख्यमंत्री मनोहरलाल के अधीन किया गया था। इस पर सीएम मनोहरलाल और गृहमंत्री विज के बीच खींचतान सुर्खियों में आ गई थी।
पिछले साल 8 जनवरी को प्रदेश सरकार ने सीआइडी के वर्तमान स्वरूप और कार्यप्रणाली में परिवर्तन के लिए तत्कालीन गृह सचिव विजय वर्धन (अब मुख्य सचिव) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें पुलिस महानिदेशक रैंक के आइपीएस अधिकारी केपी सिंह और पीआर देव शामिल थे। अभी तक इस कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है।
एक साल पूर्व गठित गृह सचिव की कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार बरकरार
कमेटी के गठन के समय सीआइडी का कार्यभार गृह मंत्री अनिल विज के पास था। इसे 22 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री ने अपने हाथ में ले लिया। कमेटी में शामिल दोनों आइपीएस अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, लेकिन आज तक यह सार्वजनिक नहीं हुआ कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दी या नहीं। रिटायर्ड अफसरों की जगह नए सदस्य शामिल किए गए या फिर कमेटी को भंग कर दिया गया।
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सीआइडी अर्थात गुप्तचर विभाग कानूनन किसी भी आपराधिक मामले में औपचारिक क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन नहीं करता है। मौजूदा पुलिस कानून अर्थात हरियाणा पुलिस अधिनियम 2007 में सीआइडी का कहीं उल्लेख नहीं है। इसके स्थान पर स्टेट इंटेलिजेंस विंग और स्टेट क्राइम इंवेस्टिगेशन विंग गठित करने का उल्लेख है।
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स्टेट इंटेलिजेंस विंग का कार्य गुप्त सूचनाओं का संग्रहण, समाकलन, विश्लेषण एवं उपयुक्त सीमित प्रचारण करना है। यह कार्य सीआइडी द्वारा किए जाते हैं। दूसरी ओर स्टेट क्राइम इंवेस्टिगेशन विंग का कार्य आपराधिक सूचनाओं (क्रिमिनल इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन और विश्लेषण करना है। यह विंग गंभीर और जघन्य अपराधों में भी जांच करती है। यह सारे कार्य वर्तमान में हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा किए जा रहे हैं।
स्टेट इंटेलिजेंस विंग होना चाहिए सीआइडी का नाम
हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत ने बताया कि चूंकि सीआइडी के पास न तो कानूनन क्रिमिनल इंटेलिजेंस है और न ही क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन की शक्ति। यह दोनों कार्य स्टेट क्राइम इंवेस्टिगेशन विंग के पास निहित हैं। इसलिए सीआइडी का वर्तमान अंग्रेजी नाम क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन न्यायोचित नहीं है। इसका नाम बदलकर स्टेट इंटेलिजेंस विंग कर देना चाहिए। पंजाब सरकार ने भी कुछ वर्षों पूर्व अपनी सीआइडी का नाम बदलकर इंटेलिजेंस विंग कर दिया था। केंद्र सरकार में भी गुप्तचर आदि कार्यों के लिए इंटेलिजेंस (आसूचना) ब्यूरो के नाम से विभाग है।
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