राष्ट्रीय हड़ताल में शामिल होंगे हरियाणा के कर्मचारी संगठन, ये हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
26 नवंबर को होने वाली कर्मचारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हरियाणा के कर्मचारी संगठन भी शामिल होंगे। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना एलटीसी देना व सरकारी कार्यालयों के निजीकरण का विरोध करना है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन सर्व कर्मचारी संघ ने 26 नवंबर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है। केंद्रीय कमेटी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में गठित सात टीमें आज से कर्मचारियों को हड़ताल की जानकारी देने के लिए फील्ड में उतर जाएंगी। यह टीमें कर्मचारियों के कार्यस्थलों पर पहुंच कर उन्हेंं न केवल हड़ताल के मुद्दों की जानकारी देंगी, बल्कि 26 नवंबर को हड़ताल में पूरी तरह से शामिल होने के लिए प्रेरित करेंगी।
इन टीमों का नेतृत्व सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, उप प्रधान सीलक राम मलिक, मास्टर जग रोशन, प्रेस प्रवक्ता इंद्र सिंह बधाना व आडीटर संदीप सांगवान करेंगे। केंद्रीय कमेटी के बाकी पदाधिकारियों को अलग-अलग जिले अलाट कर दिए गए हैं। सर्व कर्माचीर संघ से संबंधित विभागीय यूनियन एवं एसोसिएशन तथा जिला स्तर पर गठित टीमें भी सोमवार से जनसंपर्क अभियान तेज करने जा रही है।
सुभाष लांबा के अनुसार पुरानी पेंशन बहाल करने, डीए व एलटीसी पर लगाई रोक हटाने, सरकारी विभागों के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने, पीटीआइ सहित सभी विभागों से नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों की सेवाएं बहाल करने और डीसी रेट अनुबंध के आधार पर लगे पार्ट टाइम, आउटसोर्स कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा प्रदान करने के लिए 26 नवंबर की हड़ताल की जा रही है। इसके अलावा नियमितीकरण की नीति बनाने और नियमित होने तक समान काम के लिए समान वेतन लागू करने, एसीपी, प्रमोशन और इन्क्रीमेंट को कुशलता के आधार पर तय करने के कर्मचारी विरोधी प्रस्ताव को वापस लेने का दबाव भी सरकार पर बनाया जाएगा।
सुभाष लांबा ने बताया कि पहले से नौकरी में लगे कर्मचारियों को नियमित करते हुए वर्कलोड व जनसंख्या के आधार नए पद सृजित कर इन्हे नियमित भर्ती से भरने, बैकलाग को विशेष भर्ती से पूरा करने, पंजाब के समान वेतनमान व पेंशन देने, प्री-मेच्योर रिटायरमेंट आदेश वापस लेने, आनलाइन ट्रांसफर नीति में आवश्यकता एवं विभागीय संगठनों के सुझावों के मुताबिक संशोधन करने, श्रम कानूनों में किए गए बदलाव पर रोक लगाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापस लेने के लिए भी हड़ताल की जा रही है।
महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि जनतांत्रिक अधिकारों को बहाल करने, पंजाब के समान वेतनमान देने, एक्सग्रेसिया रोजगार नीति में लगाई गई शर्तों को हटाने, सभी कर्ममारियों एवं पेंशनर्स को कैशलैस मेडिकल सुविधा प्रदान करने, कर्मचारियों एवं उनके परिजनों को नई भर्तियों में पांच अंक कटौती करने के आदेशों को वापस लेने की मांगें भी 26 नवंबर की हड़ताल में शामिल हैं।