Year 2020: हरियाणा की सियासत में छाए रहे दुष्यंत चौटाला, कम उम्र लेकिन मिला सबसे ज्यादा स्पेस
सफेद सच साल 2020 मेु हरियाणा की सियासत में राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला छाए रहे। हरियाणा के दिग्गज नेताओं में उम्र में सबसे छोटे दुष्यंत चौटाला लगभग पूरे साल सुर्खियों में रहे। कम उम्र में उनको मीडिया में सबसे अधिक स्पेस मिला।
हिसार, [जगदीश त्रिपाठी]। वर्ष 2020 बीत रहा है। इस पूरे साल में हरियाणा के हिंदी अखबारों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा स्पेस दुष्यंत चौटाला ले गए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने भी काफी स्पेस कब्जा किया, पर दुष्यंत चौटाला से फिर भी थोड़ा सा कम ही रहे। वैसे देखा जाए तो इन्हीं तीनों ने तीन चौथाई स्पेस हड़प लिया। रही बात अंग्रेजी अखबारों की, तो चूंकि हरियाणा में उसके पाठक बहुत ही कम हैं, लिहाजा उनकी चर्चा कर क्यों स्पेस खर्च करें।
प्रदेश सरकार बनी भले ही पिछले वर्ष, लेकिन दो महीने तो उसे पिच का निरीक्षण करने और समझने में ही लग गए। फिर बैटिंग शुरू हुई। जब 60 पार मनोहरलाल के साथ शासन की पिच पर बैटिंग करने लगभग 30 साल के दुष्यंत चौटाला उतरे थे तो सबकी धारणा यही थी कि यह सरकार ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच (20-20 match) जैसा खेलेगी और जल्द ही इसकी पारी खत्म हो जाएगी। लेकिन, साल भर में कभी ऐसा नहीं दिखा।
एकाध बार कुछ मतभेद दोनों दलों में नजर भी आया, जैसे लॉकडाउन में हुए शराब घोटाले की जांच को लेकर। लेकिन, शीघ्र ही सबकुछ मैनेज भी हो गया। यह वैसा ही था जैसे स्ट्राइकर एंड वाला बैट्समैन नॉन स्ट्राइकर एंड वाले को रन लेने के लिए बुलाए, लेकिन वह भ्रम में पड़ जाए। दौड़े ही नहीं और अगर दौड़े तो कुछ दूर से वापस लौट जाए। हालांकि विपक्ष ने हाउज दैट का शोर मचाया जरूर, लेकिन दोनों सिरों पर बैटिंग कर मनोहर और दुष्यंत मौन होकर क्रीज में डटे रहे। इसके अतिरिक्त कभी कोई ऐसा छोटा मोटा मौका भी टकराव का नहीं आया।
उल्लेखनीय है कि इस बात कि साफ चर्चा थी कि प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज और दुष्यंत चौटाला में नहीं बनती है। ऐसा माना भी जाता है और कई बार स्पष्ट रूप से नजर भी आता है। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान कोरोना के कारण जब रिटायर्ड हर्ट होकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल अस्पताल में भर्ती थे तो एक दिवसीय विधानसभा में उनकी जगह दुष्यंत चौटाला ने स्ट्राइक ली और उनका साथ दिया अनिल विज ने। विपक्ष की बाउंसर गेंदों का सामने करने में विज ने दुष्यंत का साथ बखूबी दिया।
क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा और योगेंद्र यादव अराजनीतिक नेता
तीनों कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों की तरफ से दिल्ली की सीमाओं पर जो आजकल विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, उसमें दो मुख्य धरनास्थल हरियाणा में हैं। एक सिंघु बॉर्डर पर जो सोनीपत में है और दूसरा टीकरी बॉर्डर पर जो बहादुरगढ़ (झज्जर) में है। दोनों जगह मंच से घोषणा की जाती रही है कि आंदोलन से राजनीतिक दल दूर रहें। नेताओं को मंच देने से परहेज किया जाता है। लेकिन सबके लिए नहीं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसानों के मंच से भाषण देते हैं। इससे गैर भाजपा-गैर कांग्रेसी दलों के कार्यकर्ता अब यह प्रश्न उठाने लगे हैं कि क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा अराजनीतिक हैं? उल्लेखनीय है कि योगेंद्र यादव, जो शुरू से ही इस आंदोलन के रणनीतिकारों में शामिल हैं, उनकी अपनी पार्टी है- स्वराज इंडिया। वर्ष 2014 में वह आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। वैसे आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव तो गुरुनाम सिंह चढ़ूनी की पत्नी भी लड़ चुकी हैं। चढ़ूनी स्वयं भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं।
दिलचस्प यह है कि ये सभी चुनाव बुरी तरह हारे हैं। क्या ये सब अराजनीतिक हैं, इस प्रश्न का कुछ लोग बहुत दिलचस्प उत्तर देते हैं- जो बुरी तरह चुनाव हार गया हो, वह अराजनीतिक है और जो जीत गया हो, वह राजनीतिक। हां, भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपवाद हैं। उनके लिए मंच पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जाट, गुर्जर, यादव, सैनी आदि कृषक जातियों से जुड़े भाजपा के नेता इस बात को प्रमुखता से उठा रहे हैं। इसका असर भी हो रहा है, आंदोलन के आरंभिक दौर में हरियाणा के किसान जिस उत्साह के साथ समर्थन दे रहे थे, अब उसमें कमी आ गई है।
स्वास्थ्य मंत्री के स्वस्थ होकर पुनर्वापसी की प्रतीक्षा
कोविड-19 की देसी वैक्सीन के तीसरे चरण में पहले स्वयंसेवक के रूप में कोवैक्सीन लेने वाले अनिल विज को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाती, इसके पहले ही वह स्वयं कोरोना संक्रमित हो गए। प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों पर आम जन का विश्वास बना रहे, इसलिए वह परास्नातक आयुíवज्ञान संस्थान रोहतक में भर्ती हुए। वहां उनकी स्थिति में निरंतर सुधार भी हो रहा था, लेकिन फेफड़े में संक्रमण हो गया।
दौरान उन्हें देखने पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने स्थिति की गंभीरता को समझा और तुरंत विज को गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भेजे जाने की व्यवस्था कराई। विज का स्वास्थ्य अब बेहतर है और फेफड़ों का संक्रमण भी नियंत्रण में है। अब प्रतीक्षा है, उनके स्वस्थ होकर आने की। न केवल उनके समर्थक, बल्कि संपूर्ण राज्य के निवासी और देश-दुनिया में इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म से उनसे जुड़े उनके फॉलोअर्स भी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
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