हरियाणा में दो घंटे हड़ताल पर रहे Doctor, मरीज हुए हलकान, डाक्टर बोले- यह तो सिर्फ ट्रेलर था
हरियाणा में डाक्टर सुबह नौ से 11 बजे तक हड़ताल पर रहे। डाक्टर अस्पतालों पीएचसी और सीएचसी के बाहर रहे वहीं गलियारों में मरीज भटकते रहे। आपात सेवाओं के अलावा दो घंटे तक सब कुछ ठप रहा। डाक्टरों ने मांगें मनवाने को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। डेंगू के डंक और मौसमी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर शुक्रवार को डाक्टरों की हड़ताल भारी पड़ी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभी सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टराें ने सुबह नौ से 11 बजे तक कामकाज का पूरी तरह बहिष्कार किया। इस दौरान डाक्टर बाहर प्रदर्शन करते रहे और मरीज इलाज के लिए गलियारों में भटकते रहे। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि यह तो ट्रेलर था। सरकार ने 15 दिन में मांगें नहीं मानी तो फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
हड़ताल की जानकारी नहीं होने से बड़ी संख्या में मरीज रोजाना की तरह सुबह ही इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंच गए थे। ओपीडी कार्ड तो साथ के साथ बनते रहे, लेकिन 11 बजे तक डाक्टरों ने इलाज शुरू नहीं किया। दो घंटे के प्रदर्शन के बाद डाक्टरों ने मरीजों की जांच शुरू की, परंतु तब तक अपनी बारी को लेकर मारामारी की स्थिति बन गई थी। राहत की बात यह रही कि अधिकतर डाक्टरों ने ओपीडी का समय बंद होने के बाद भी करीब डेढ़-दो घंटे तक मरीजों की जांच की जिससे उनका इलाज किया जा सका।
हड़ताल में 2700 से 2800 डाक्टरों के शामिल होने का दावा करते हुए हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डा. जसबीर सिंह परमार और महासचिव डा. राजेश श्योकंद ने कहा कि हम मरीजों को परेशान नहीं करना चाहते, लेकिन सरकार मजबूर कर रही है। 15 दिन के बाद करनाल में एसोसिएशन की गवर्निंग बाडी की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी। अगर इस दौरान मांगों पर सरकार ने काेई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया तो सख्त फैसला लेने से पीछे नहीं हटेंगे।
डाक्टरों ने इसलिए की हड़ताल
वर्ष 2015 से प्रदेश में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) की सीधी भर्ती बंद है। छह साल से चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नत कर इन पदों को भरा जा रहा था। अब सरकार ने एसएमओ की सीधी भर्ती शुरू कर दी है। यह फैसला डाक्टरों को रास नहीं आ रहा क्योंकि इससे 95 फीसद डाक्टरों की पदोन्नति के अवसर खत्म हो जाएंगे। इसके अलावा केंद्र की तर्ज पर एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रमोशन), स्पेशलिस्ट काडर और पीजी कोर्स में 40 फीसद आरक्षण के मुद्दे भी लटके हुए हैं। इससे डाक्टरों में रोष है।