ढींगरा आयोग की सीलबंद जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में तलब
हुड्डा के कार्यकाल में हुए भूमि आवंटनों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की सीलबंद जांच रिपोर्ट पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तलब कर ली गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुए भूमि आवंटनों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की सीलबंद जांच रिपोर्ट पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तलब कर ली गई है।
मामले में हुड्डा की पैरवी कर रहे पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी बहस समाप्त करने से पहले मांग की कि आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने से पहले अदालत में तलब की जानी चाहिए। अगर इस रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई नकारात्मक टिप्पणी है तो उसे हटाया जा सके।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने बिना किसी आधार के इस आयोग का गठन किया। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने इसके गठन के लिए मंत्रिमंडल से भी मंजूरी नहीं ली। सिब्बल की जिरह पर अपना जवाब दायर करने के लिए समय मांगे जाने पर हाई कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 26 सितंबर को अपनी दलीलें पेश करने की भी स्वीकृति दी है।
सिब्बल ने कहा कि इस मामले में जब ढींगरा आयोग के गठन की वैधानिकता पर अभी कानूनी बहस जारी है। ऐसे में इसकी रिपोर्ट में अगर याची के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियां दर्ज है तो वे मर्यादा को नुकसान कर सकती हैं।
सिब्बल की इस मांग का विरोध करते हुए हरियाणा सरकार की पैरवी करने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फिलहाल जांच आयोग की रिपोर्ट को देखना व मंगवाना अदालत के कार्यक्षेत्र से बाहर का विषय है, क्योंकि कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के प्रावधानों के तहत जांच आयोग की रिपोर्ट को पहले राज्य की विधानसभा में पेश किया जाएगा।
इस पर जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस अनुपिन्दर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने जांच आयोग की सीलबंद रिपोर्ट को अदालत में पेश किए जाने के आदेश देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को अदालत में खोलने पर बाद में विचार किया जाएगा।
इससे पहले सिब्बल ने हुड्डा का पक्ष रखते हुए कहा कि ढींगरा आयोग ने याची को कमीशन ऑफ़ इन्क्वाइरी एक्ट की धारा- 8 बी के तहत उनका पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया है। सिब्ब्ल ने लगभग तीन घंटे तक पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का पक्ष रखते हुए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा गठित किए गए जांच आयोगों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का जिक्र किया जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग के गठन से पहले प्रारंभिक जांच को आवश्यक बताया है।