मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ेगा बोझ, 535 कालोनियों में तीन गुणा बढ़ी Development fee
हरियाणा सरकार ने वर्ष 2018 में नियमित की गई 535 कॉलोनियों का विकास शुल्क बढ़ा दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले से कालोनियों में रहने वाले लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों में नाराजगी है।
जेेेेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2018 में नियमित की गई 535 कॉलोनियों का विकास शुल्क बढ़ा दिया है। अब इन कालोनियों के लोगों में विकास कार्यों के लिए विकास शुल्क तीन गुणा अधिक वसूल किया जाएगा। पहले 120 रुपये स्क्वायर मीटर के हिसाब से विकास शुल्क वसूल किया जाता था, जो अब बढ़ाकर 360 रुपये स्क्वायर मीटर कर दिया गया है।
हरियाणा सरकार ने जिन कालोनियों को नियमित किया था, उनमें नगर निगमों की 254, नगर परिषदों की 100 और नगर पालिकाओं की 181 कालोनियां शामिल हैं। इन सभी कालोनियों में स्थानीय निकाय विभाग ने विकास शुल्क के नाम पर तीन गुणा राशि बढ़ा दी है। राज्य सरकार के इस फैसले से कालोनियों में रहने वाले लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों में नाराजगी है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई बैठक में सभी मेयरों द्वारा विकास शुल्क को कम करने का मामला उठाया गया था, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। इस मामले पर ऑल रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से बढ़ी हुई दरों को वापस लेने की मांग की है।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने बताया कि नगर निगमों की आय बढ़ाने के लिए वैध हुई इन कालोनियों में विकास शुल्क में एक साथ तीन गुणा बढ़ोतरी करना गलत है। इस बढोतरी के कोई मापदंंड तो निर्धारित होने चाहिए, क्योंकि जिन मूलभूत सुविधाओं यानी सड़क, सीवर, पेयजल व स्ट्रीट लाइट के नाम पर निगम यह शुल्क लागू कर रहा है, वह सुविधाएं लगभग सभी कालोनियों में पहले से हैं। ऐसे में बिना कोई विकास कराए इतना अधिक शुल्क लगाना उचित नहीं है। इन सभी कालोनियों में ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार रहते हैं।
इस तरह से लागू होंगी विकास शुल्क की नई दरें
- गुरुग्राम और फरीदाबाद को छोड़कर अन्य सभी नगर निगमों में विकास शुल्क 120 रुपये से बढ़ाकर 360 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर होगा
- इसके आलावा नगर परिषदों में बढोतरी के बाद 240 रुपये और नगर पालिकाओं में 160 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की दर से विकास शुल्क लगेगा।
- गुरुग्राम व फरीदाबाद नगर निगम में 500 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की दर से शुल्क लिया जाएगा।
- इस विकास शुल्क व कलेक्टर रेट की पांच फीसद राशि में जो अधिक होगा, वही वसूला जाएगा।
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